
कैसे तैयार होती है हिंडनबर्ग रिपोर्ट? जिसमें अडानी के बाद फंसी सेबी चीफ... जानें इसके मालिक नाथन एंडरसन की कहानी
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Hindenburg Founder नाथन एंडरसन हैं, जो कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं. उन्होंने साल 2017 में नौकरी छोड़कर इस शॉर्ट सेलर फर्म की स्थापना की थी और इसका नाम उन्होंने 6 मई 1937 में न्यू जर्सी के मैनचेस्टर टाउनशिप में हुए हिंडनबर्ग एयरशिप एक्सीडेंट के नाम पर रखा था.
अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg)... बीते साल 2023 की शुरुआत में ये नाम सुर्खियों में था और हो भी क्यों न आखिर इसने उस समय दुनिया के टॉप-3 अमीरों में शामिल रहे भारतीय अरबपति गौतम अडानी को लेकर ऐसा खुलासा किया था, कि वे देखते ही देखते टॉप-30 अरबपतियों की लिस्ट से भी बाहर हो गए थे. अब करीब 18 महीने बाद ये फिर से चर्चा में है और इसका कारण है कि इसने भारत में मार्केट रेग्युलेटर SEBI पर निशाना साधा है और इसकी चीफ माधबी पुरी बुच व उनके पति पर अडानी ग्रुप के साथ कनेक्शन का हवावा देते हुए गंभीर आरोप लगाए हैं. आइए जानते हैं आखिर कैसे तैयार होती है हिंडनबर्ग रिपोर्ट और कैसे हुई इस शॉर्ट सेलर फर्म की शुरुआत?
कैसे हिंडनबर्ग ने SEBI पर साधा निशाना? सबसे पहले बात करते हैं Hidenburg की ताजा रिपोर्ट के बारे में जिसमें उसने सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच को निशाने पर लिया है. तो बता दें कि शनिवार शाम को जारी रिपोर्ट में अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म ने कहा है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने बरमुडा और मॉरिशस के फंड में हिस्सेदारी ली, जो कि टैक्सहैवन देश हैं और इन्हीं दो फंडों का यूज गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने भी किया था. हालांकि, इन आरोपों पर सफाई देते हुए SEBI चेयरपर्सन ने रविवार को एक स्टेटमेंट जारी कर इन्हें सिरे से खारिज किया. बुच की ओर से कहा गया है कि इन आरोपों में किसी भी तरह की कोई सच्चाई नहीं है. हमारा जीवन और फाइनेंस खुली किताब की तरह है.
नाथन एंडरसन की कंपनी है हिंडनबर्ग रिसर्च हिंडनबर्ग के फाउंडर नाथन एंडरसन (Nathan Anderson) हैं. नाथन ने अमेरिका की कनेक्टिकट यूनिवर्सिटी (University of Connecticut) से इंटरनेशनल बिजनेस में ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी की तलाश शुरू कर दी थी. इसके बाद उन्होंने एक डाटा रिसर्च कंपनी में जॉब शुरू की और यहां पर पैसों के इनवेस्टमेंट से जुड़ी रिसर्च का काम किया. नौकरी करते हुए उन्होंने डाटा और शेयर मार्केट की बारीकियों को जाना और उन्हें समझ आ गया कि शेयर मार्केट (Share Market) दुनिया के पूंजीपतियों का सबसे बड़ा अड्डा है.
बारीकियां समझीं और बना ली अपनी कंपनी नौकरी करते हुए नाथन एंडरसन समझने लगे थे कि शेयर मार्केट में काफी कुछ ऐसा हो रहा है, जो आम लोगों की समझ से बाहर है. बस यहीं से उनके दिमाग में अपनी रिसर्च कंपनी शुरू करने और कंपनियों की गड़बड़ियों को उजागर कर उन्हें शॉर्ट करने का आइडिया आया. इस पर आगे बढ़ते हुए उन्होंने नौकरी छोड़ साल 2017 में Hindenburg नाम से अपनी कंपनी शुरू कर दी. खास बात ये है कि उन्होंने अपनी रिसर्च कंपनी का नाम 6 मई 1937 में न्यू जर्सी के मैनचेस्टर टाउनशिप में हुए हिंडनबर्ग एयरशिप एक्सीडेंट के नाम पर रखा गया.

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