
एनिमल-जाट में एक सीन से लाइमलाइट लूटने वाला वो एक्टर, जो जीत चुका है बेस्ट एक्टिंग का नेशनल अवॉर्ड
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'एनिमल' में फ्रेडी के रोल में सिर्फ एक सीन से माहौल जमा देने वाले उपेंद्र लिमये अब 'जाट' के ट्रेलर में नजर आ रहे हैं. सनी देओल स्टारर फिल्म के ट्रेलर में भी उनका एक ही सीन है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक-एक सीन से लाइमलाइट लूटने वाले उपेंद्र किस लेवल के एक्टर हैं?
'एनिमल' में डायरेक्टर संदीप रेड्डी वांगा ने क्या परोसा, क्या नहीं, इसपर बहुत बहस हो चुकी है. मगर उनके इस एक्शन-ड्रामा-एंटरटेनर बुफे में एक ऐसी डिश थी जिसे सिर्फ चम्मच भर चखकर ही ऑडियंस की स्वाद कलिकाएं उर्फ टेस्ट बड्स खिलखिला उठे. इसका अद्भुत डिश का नाम था- फ्रेडी.
फिल्म में फ्रेडी दो जबरदस्त चीजें लेकर आया था- एक महाविनाशकारी मशीन गन और रणबीर के एक्शन के पीछे चलने वाला मराठी गाना 'डॉल्बी वाल्या'. इंटरवल से पहले रणबीर कपूर का 'एनिमल' मोमेंट बनाने में फ्रेडी का ये रोल भला कौन भूल सकता है. इस किरदार और फिल्म ने ये तय कर दिया कि एक्टर उपेंद्र लिमये हमेशा के लिए हिंदी फिल्म दर्शकों की याद्दाश्त पर छपे रहेंगे. 'एनिमल' के बाद उपेंद्र, शाहिद कपूर की 'देवा' में भी एक मजेदार रोल में नजर आए. अब वो सनी देओल की 'जाट' में नजर आने वाले हैं.
'जाट' के ट्रेलर में सिर्फ एक सीन में नजर आ रहे उपेंद्र, इतने भर में ही जनता का ध्यान खींच रहे हैं. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि अपने एक-एक सीन से मास फिल्मों में माहौल बना देने वाले उपेंद्र लिमये किस लेवल के एक्टर हैं?
जमकर किया एक्स्परिमेंटल थिएटर 8 नवंबर 1969 को पुणे, महाराष्ट्र के सदाशिव पेठ में जन्मे उपेंद्र लिमये बचपन से ही एक्टिंग को लेकर पैशनेट थे. स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान उन्होंने एक्टिंग में हाथ आजमाना शुरू कर दिया. पुणे की ललित कला अकादमी से उन्होंने एक्टिंग की ट्रेनिंग ली और 1988 में अपने दोस्तों के साथ एक थिएटर ग्रुप 'परिचय' की शुरुआत की. एक पुराने इंटरव्यू में उपेंद्र ने बताया था कि 1990 के बाद उन्होंने ग्रिप्स थिएटर के कई नाटक किए.
ग्रिप्स थिएटर, बच्चों और यूथ का एक थिएटर मूवमेंट है जिसकी शुरुआत जर्मनी में हुई थी. इस थिएटर स्टाइल में दर्शकों के सामने संसार को बच्चों की नजर से पेश किया जाता है और ह्यूमर के साथ समाज से जुड़े मुद्दों पर बात करती कहानी कही जाती है. इसका सीधा मतलब है कि मिडल एज कलाकार अपने आप को 8-9 साल के बच्चों में ट्रांसफॉर्म करते हैं और स्टेज पर परफॉर्म करते हैं. इंटरव्यू में उपेंद्र ने बताया था कि ग्रिप्स थिएटर करने से बतौर एक्टर उन्हें बहुत मदद मिली और उन्होंने 'दिमाग और शरीर की फ्लेक्सिबिलिटी' सीखी.
थिएटर के मंच से पर्दे पर ऐसे पहुंचे उपेंद्र उपेंद्र ने थिएटर के दिनों से ही मराठी सिनेमा में छोटे-छोटे किरदार निभाने शुरू कर दिए थे और जब उनकी एक्टिंग से फिल्ममेकर्स इम्प्रेस होने शुरू हुए तो उनके रोल भी लंबे होते चले गए. उपेंद्र ने अपनी पहली मराठी फिल्म 'मुक्ता' 1994 में की थी. थिएटर करते हुए ही उन्होंने 'बंगारवाड़ी' और कुछ दूसरी मराठी फिल्मों में भी काम किया. मगर उनके करियर में एक बड़ा मोड़ आया 1999 में.

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