एक सांप, एक लाठी, इडली और चिकन, इशारों में दिल झिंझोड़ देने वाली कहानी कहती है 'महाराजा'
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प्रतीकों की परतें किसी आर्ट को गूढ़ बनाती हैं. और सिनेमा लवर्स को कुछ दिनों से जो आर्ट पीस अपने परतों में उलझाए हुए है, वो है 'महाराजा'. विजय सेतुपति और अनुराग कश्यप स्टारर तमिल फिल्म 'महाराजा' नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है. आइए खोलते हैं की कहानी में प्रतीकों की परतें...
बाल कटवाकर, दाढ़ी बनवाकर चकाचक घर लौटे आदमी को अक्सर कोई न कोई कह देता है- 'अब इंसान लग रहे हो.' सवाल ये है कि उस्तरे के नीचे आने से पहले क्या वो आदमी जानवर लग रहा था? आखिर उस्तरा चलाने वाले केश कर्तक उर्फ बार्बर ने ऐसा किया क्या? बाल ही तो काटे, दाढ़ी की काट-छांट ही तो की!
लेकिन हिंदी साहित्य के सिद्ध पुरुषों में से एक, स्वर्गीय आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी शायद ऐसा नहीं मानते. अपने चर्चित निबंध 'नाखून क्यों बढ़ते हैं?' में उन्होंने इंसान के नाखून बढ़ने को जब उसकी 'पशुता का प्रमाण' कहा, तो साथ में 'केश' यानी बालों को भी लपेट लिया.
कहने का मतलब ये कि लाखों साल पहले मनुष्य जंगली था, तब उसके अपने शरीर की कई चीजें उसके सर्वाइवल, उसकी रक्षा में काम आती थीं. जैसे नाखून या बाल. अब इनकी जरूरत वैसी तो नहीं रही, मगर फिर भी ये हैं. और अब इनकी ग्रोथ को काबू में रखना, बढ़ने न देना, संवारकर रखना, मनुष्य के सौन्दर्य की बात है.
बात प्रतीकों की है, बात रूपकों की है यानी किसी एक चीज के माध्यम से, दूसरी चीज का सन्दर्भ देना. इस नजर से देखने पर आपके बाल काटकर आपको खूबसूरत बनाए रखने वाला व्यक्ति, मानवता का रक्षक सा लगने लगता है. प्रतीकों की ये परतें किसी आर्ट को गूढ़ बनाती हैं. और सिनेमा लवर्स को कुछ दिनों से जो आर्ट पीस अपने परतों में उलझाए हुए है, वो है 'महाराजा'.
विजय सेतुपति और अनुराग कश्यप स्टारर तमिल फिल्म 'महाराजा' 14 जून को थिएटर्स में रिलीज हुई थी. वर्ल्डवाइड 100 करोड़ कमाने के बाद, 12 जुलाई से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम हो रही है. देश के दक्षिणी हिस्से में खूब सराही जा चुकी इस फिल्म को अब पूरा देश देख रहा है और इसके चमत्कार में डूब रहा है.
सीन दर सीन फिल्म आगे बढ़ रही है, दर्शक का ध्यान भी पूरा है, मगर आगे क्या होने वाला है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो जा रहा है. मगर इस फिल्म में जितना दिखता है केवल उतना ही नहीं है, इसमें प्रतीकों की भी भरमार है. और जब आप डायरेक्टर के छोड़े इन प्रतीकों को पढ़ते हैं, तो 'महाराजा' की कहानी का सौंदर्य और खुलकर प्रकट होता है. आइए खोलते हैं 'महाराजा' की कहानी में प्रतीकों की परतें...
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