![एक ओर परिवार, दूसरी तरफ रोजगार... नीतीश के चुनावी रथ पर लिखे शब्द बिहार में विपक्ष को बैकफुट पर धकेल पाएंगे?](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202404/661fe2ce8b6ab-nitish-kumar-175509377-16x9.jpg)
एक ओर परिवार, दूसरी तरफ रोजगार... नीतीश के चुनावी रथ पर लिखे शब्द बिहार में विपक्ष को बैकफुट पर धकेल पाएंगे?
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नीतीश कुमार के चुनावी रथ के दोनों ओर लिखा स्लोगन दिलचस्प है. रथ के एक ओर जहां 'रोजगार मतलब नीतीश कुमार' लिखा है, तो वहीं बस की दूसरी तरफ 'पूरा बिहार हमारा परिवार' लिखा हुआ है. इस दोनों नारों को अगर बिहार की राजनीति के मौजूदा परिपेक्ष में समझने की कोशिश करें यह साफ नजर आएगा कि ये शब्द महज स्लोगन मात्र नहीं है.
लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी चुनावी यात्रा पर हैं. नजर NDA के लिए राज्य की सभी 40 लोकसभा सीटें जीतकर 'अबकी बार 400 पार' का लक्ष्य हासिल करने पर टिकी हैं. इस चुनाव में NDA गठबंधन का न सिर्फ चुनावी लक्ष्य बदला है, बल्कि इसके साथ ही नीतीश कुमार के प्रचार का तरीका भी बदल गया है. बिहार के सीएम की इस चुनावी यात्रा में हेलीकॉप्टर की जगह अब बस ने ले ली है, जिसे रथ कहा गया है. नीतीश कुमार जिस बस को लेकर बिहार की चुनावी यात्रा पर निकले हैं, उस पर लिखा है, 'निश्चय रथ'.
नीतीश जिस बस (रथ) से चुनावी मैदान का चक्कर काटेंगे उसे JD(U) ने खासतौर पर तैयार करवाया है. सीएम नीतीश का चुनावी रथ हाईटेक तो है ही, लेकिन जो बात गौर करने वाली है वह इसके दोनों ओर लिखा चुनावी स्लोगन. नीतीश के रथ के एक ओर जहां 'रोजगार मतलब नीतीश कुमार' लिखा है, तो दूसरी तरफ 'पूरा बिहार हमारा परिवार' लिखा हुआ है. इन दोनों ही नारों को अगर बिहार की राजनीति के मौजूदा परिप्रेक्ष्य में समझने की कोशिश करें तो यह साफ नजर आएगा कि नीतीश के रथ पर लिखे शब्द महज स्लोगन मात्र नहीं हैं.
रथ के दोनों ओर लिखी लाइनें मौजूदा चुनाव में राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी RJD को दो मोर्चों पर नुकसान पहुंचाने की दिशा में एक सीधी लकीर खींचती हैं. इन नारों के जरिए जिन चुनावी मुद्दों को नीतीश कुमार साधने की कोशिश कर रहे हैं, वे कुछ और नहीं बल्कि (मोदी का) परिवार, (राजद का) परिवारवाद और रोजगार हैं.
लालू के 'परिवारवाद' पर निशाना
परिवारवाद एक ऐसा मुद्दा है जिसके जरिए भाजपा और नीतीश कुमार अक्सर लालू यादव एंड फैमिली को निशाने पर रखते हैं. राजद को एक परिवार की पार्टी और मुस्लिम-यादव समीकरण से जोड़ कर देखा जाता रहा है. बिहार के हर चुनाव में जो भी पार्टी राजद के खिलाफ लड़ती है, उसके तरकश से राजनीतिक निशाने के लिए पहला तीर परिवारवाद का ही निकलता है. अभी कुछ दिन पहले ही राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर पर बोलते हुए नीतीश कुमार ने अप्रत्यक्ष रूप से 'लालू के परिवारवाद' पर निशाना साधा था.
नीतीश कुमार ने कहा था कि कर्पूरी ठाकुर ने कभी अपने परिवार को आगे नहीं बढ़ाया. आजकल लोग अपने परिवार को बढ़ाते हैं. इसके बाद नीतीश कुमार ने 'पूरा बिहार हमारा परिवार' का नारा गढ़कर अपनी चुनावी रणनीति की हाइलाइट तो दिखा दी है. मतलब साफ है, आने वाले दिनों में नीतीश के चुनावी भाषणों में 'ये लोग तो परिवार को ही आगे बढ़ाते हैं' जैसी लाइनें प्रमुखता से सुनने को मिल सकती हैं. RJD से हाथ मिलाने के पहले और अलग होने के बाद से नीतीश के भाषणों और सभाओं में लालू यादव और उनके परिवार का राजनीति में असर अक्सर निशाने पर रहा है.
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