
ईरान में भूकंप के तेज झटके, परमाणु केंद्रों वाले इलाके में कांपी धरती
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नातांज ईरान का एक प्रमुख परमाणु केंद्र है, जहां संवेदनशील परमाणु कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में भूकंप आने से चिंता बढ़ गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस भूकंप से परमाणु स्थलों को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन एहतियात के तौर पर उनकी जांच की जा रही है.
ईरान के नातांज क्षेत्र में रविवार को भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए, जिससे इलाके में दहशत फैल गई. अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के अनुसार, भूकंप की गहराई 10 किलोमीटर थी. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.0 मापी गई. नातांज क्षेत्र ईरान के प्रमुख परमाणु प्रतिष्ठानों में से एक है, जिससे इस भूकंप को लेकर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं.
स्थानीय मीडिया के अनुसार, भूकंप के झटके आसपास के कई शहरों में भी महसूस किए गए. हालांकि, अब तक किसी बड़ी क्षति या हताहत की सूचना नहीं मिली है. ईरान के आपातकालीन सेवा विभाग के अधिकारी इलाके में हालात का जायजा ले रहे हैं.
बता दें कि नातांज ईरान का एक प्रमुख परमाणु केंद्र है, जहां संवेदनशील परमाणु कार्यक्रम संचालित किए जाते हैं. ऐसे में इस क्षेत्र में भूकंप आने से चिंता बढ़ गई है. विशेषज्ञों का कहना है कि इस भूकंप से परमाणु स्थलों को कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन एहतियात के तौर पर उनकी जांच की जा रही है.
भूकंप क्यों और कैसे आता है?
वैज्ञानिक रूप से समझने के लिए हमें पृथ्वी की संरचना को समझना होगा. पृथ्वी टैक्टोनिक प्लेटों पर स्थित है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा है और इस पर टैक्टोनिक प्लेट्स तैरती रहती हैं. कई बार ये प्लेट्स आपस में टकरा जाती हैं. बार-बार टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं. ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है. जब इससे डिस्टर्बेंस बनता है तो इसके बाद भूकंप आता है.
कैसे मापी जाती है तीव्रता?

मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने कहा कि उनके खैबर पख्तूनख्वा में अभी भी “गुड तालिबान” मौजूद हैं, जबकि इस महीने की शुरुआत में बन्नू कैंटोनमेंट पर हमला “बैड तालिबान” द्वारा किया गया था. पाकिस्तान सेना और सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि आज पाकिस्तान जिस सुरक्षा समस्या का सामना कर रहा है, उसका समाधान ऑपरेशन नहीं है.

सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर मंगलवार को 286 दिन बाद पृथ्वी पर लौटे. उनकी यह यात्रा केवल आठ दिनों की होनी थी, लेकिन उनके स्पेसक्राफ्ट में आई तकनीकी खराबी के कारण यह लंबी हो गई. नासा के प्रवक्ता जिमी रसेल ने बताया कि अंतरिक्ष में रहते हुए भी ये सरकारी कर्मचारी माने जाते हैं और उनकी यात्रा को आधिकारिक यात्रा आदेश के रूप में गिना जाता है.

एक निजी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गंडापुर ने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा में अब तक 9,500 से 11,500 आतंकवादी घुसपैठ कर चुके हैं, जबकि इससे दोगुनी संख्या में आतंकवादी सीमा पार मौजूद हो सकते हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि सैन्य अभियान इस समस्या का हल नहीं है और इसे सिर्फ बातचीत और कूटनीति के जरिए सुलझाया जा सकता है.