ईरान की सत्ता में बड़ा उलटफेर, रिफॉर्मिस्ट मसूद पेजेश्कियान जीते राष्ट्रपति चुनाव, कट्टरपंथी जलीली की हार
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ईरान में रिफॉर्मिस्ट की सत्ता आ गई है. इब्राहिम रईसी के हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन के बाद समय से पहले हुए चुनाव में कट्टरपंथी की हार हुई है. मसूद पेज़ेशकियान अब ईरान के अगले राष्ट्रपति होंगे. उन्होंने देश को पश्चिम के साथ जोड़ने का चुनाव में वादा किया था, जो दशकों से अमेरिका के साथ टकराव की स्थिति में है.
ईरान के राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा आ गया है. रिफॉर्मिस्ट मसूद पेजेशकियान ने राष्ट्रपति का चुनाव जीता है. उन्होंने कट्टरपंथी माने जाने वाले उम्मीदवार सईद जलीली को मात दी है. चुनाव में उन्होंने ईरान को पश्चिमी देशों से जोड़ने का वादा किया था, जो दशकों से अमेरिकी नेतृत्व के साथ टकराव में है.
चुनाव में सुधारवादी नेता पेजेशकियान को 16.3 मिलियन वोट पड़े हैं, जबकि हार्डलाइनर यानी कट्टरपंथी उम्मीदवार सईद जलीली को 13.5 मिलियन वोट मिले. पेजेशकियान पेशे से एक हार्ट सर्जन हैं और लंबे समय से सांसद रहे हैं. उनके समर्थकों में खुशियों का माहौल है, जिन्होंने देश की सत्ता में बड़े बदलाव का नेतृत्व किया है. वोट काउंटिंग के दौरान ही उनके समर्थक सड़क पर सेलिब्रेशन के लिए उतर आए थे.
नए राष्ट्रपति भी सुप्रीम लीडर पर जताते हैं विश्वास
मसलन, इस चुनाव में ईरान के पूर्व परमाणु निगोशियेटर के रूप में मशहूर सईद जलीली, सुप्रीम लीडर के करीबी माने जाते हैं, जिन्हें हार का सामना करना पड़ा है. पेजेशकियान की जीत के बाद ईरान में कुछ बहुत बड़ा बदलाव होगा, इसकी उम्मीद कम ही है, क्योंकि खुद पेजेशकियान वादा कर चुके हैं कि उनके कार्यकाल में देश के शिया धर्मतंत्र में कोई आमूलचूल बदलाव नहीं किया जाएगा.
ईरान में सुप्रीम लीडर की बात पत्थर की लकीर मानी जाती है. पेजेशकियान भी उन नेताओं में एक हैं, जो सुप्रीम लीडर को देश के सभी मामलों में आखिरी मध्यस्थ मानते हैं. वह पश्चिम के साथ ईरान के बेहतर संबंध की वकालत करते रहे हैं, जिनके प्रतिबंधों से देश का आज खस्ता हाल है.
इब्राहिम रईसी के निधन के बाद हुआ चुनाव
1991 में गल्फ वॉर की समाप्ति ने ईरान और इज़रायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की. सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया. वहीं, ईरान और इज़रायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो-पॉलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया. 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया.