![इजरायल के वार से कराह रहे लेबनान ने अमेरिका से मांगी मदद, नसरल्लाह की उस 'ख्वाहिश' पर कही ये बात](https://akm-img-a-in.tosshub.com/aajtak/images/story/202410/66fe4e0286456-israel-lebanon-war-035545312-16x9.jpg)
इजरायल के वार से कराह रहे लेबनान ने अमेरिका से मांगी मदद, नसरल्लाह की उस 'ख्वाहिश' पर कही ये बात
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हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के करीब 5 दिन बाद लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बौ हबीब ने अमेरिका से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमें मदद चाहिए. अमेरिका सीजफायर में बड़ी भूमिका निभा सकता है.
हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के करीब 5 दिन बाद लेबनान के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बौ हबीब ने अमेरिका से मदद की गुहार लगाई है. उन्होंने कहा कि हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. हमें मदद चाहिए. अमेरिका सीजफायर में बड़ी भूमिका निभा सकता है. इस दौरान हबीब ने ये भी बताया कि हसन नसरल्लाह ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक 21 दिन की सीजफायर पर सहमति जताई थी, लेकिन उसके बाद हवाई हमले में उनकी हत्या कर दी गई. उन्होंने कहा कि इस अस्थायी सीजफायर की मांग अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और अन्य सहयोगियों द्वारा UN जनरल असेंबली की बैठक के दौरान मांगी गई थी. दरअसल, सीजफायर की मांग उस समय उठी थी जब हिजबुल्लाह ने इजरायल पर पेजर और वॉकी-टॉकी के कई विस्फोटों का आरोप लगाया था.
हबीब ने कहा, 'हमने पूरी तरह से सीजफायर पर सहमति दी थी. लेबनान ने सीजफायर पर सहमति जताई. हमने इस फैसले के बारे में अमेरिका और फ्रांस को भी बताया था.' हबीब के अनुसार, व्हाइट हाउस के सीनियर सलाहकार अमोस होकस्टीन सीजफायर सौदे की बातचीत के लिए लेबनान जाने वाले थे. लेकिन इसी बीच नसरल्लाह की मौत हो गई.
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बता दें कि नसरल्लाह की हत्या 27 सितंबर को कर दी गई थी. इजरायली हमले ने इसकी पुष्टि की थी, जिसके बाद हिजबुल्लाह ने भी नसरल्लाह की मौत की पुष्टि कर दी थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, नसरल्लाह की मौत से एक दिन पहले, अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, यूरोपीय संघ, जर्मनी, इटली, जापान, सऊदी अरब, यूएई, यूके और कतर द्वारा एक संयुक्त बयान जारी किया गया था, जिसमें 21 दिन की सीजफायर की मांग की गई थी. हालांकि, नेतन्याहू ने इस सौदे को अस्वीकार कर दिया और कहा कि इजरायल कार्रवाई जारी रखेगा.
'हमें अमेरिका के मदद की जरूरत'
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात ने दोनों नेताओं के बीच गहरी मित्रता को दर्शाया. ट्रंप ने मोदी को 'आई मिस यू' कहकर स्वागत किया, जबकि मोदी ने दोनों देशों के संबंधों को '1+1=111' बताया. दोनों नेताओं ने व्यापार, सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की. ट्रंप ने मोदी को 'महान नेता' और 'खास व्यक्ति' बताया. मोदी ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा. दोनों नेताओं ने यूक्रेन युद्ध पर भी चर्चा की और शांति की आवश्यकता पर जोर दिया.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्हाइट हाउस में हुई मुलाकात में दोस्ती और व्यापार पर चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने एक-दूसरे की तारीफ की, लेकिन व्यापार मुद्दों पर तनाव बरकरार रहा. ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की, जो भारत के लिए चुनौती हो सकती है. मुलाकात में एफ-35 फाइटर जेट्स और तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर भी चर्चा हुई.
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बैठक में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग पर गहन चर्चा की गई. इस चर्चा में अमेरिका ने भारत को F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट्स, स्ट्राइकर कॉम्बैट व्हीकल्स और जावलिन मिसाइल्स की पेशकश की. विशेषज्ञों का विचार है कि ये हथियार भारत की आत्मनिर्भरता नीति के सटीक अनुरूप नहीं हैं.
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रूस-यूक्रेन जंग को खत्म करने का ब्लू प्रिंट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने लगभग तैयार कर लिया है. इससे पहले ट्रंप ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन और यू्क्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से फोन पर बातचीत की. ट्रंप चाहते हैं कि नाटो में शामिल होने की जिद्द यूक्रेन छोड़ दे लेकिन जेलेंस्की ने अपने देश की सुरक्षा का हवाला दिया है.
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PM नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हुई मुलाकात में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई. आतंकवाद से निपटने में सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई, जिसमें ठाकुर हसन राणा के प्रत्यर्पण का विषय भी शामिल था. फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में भारत-अमेरिका के सहयोग पर भी वार्ता हुई, जहाँ अमेरिकी बाजार में भारतीय जेनेरिक दवाओं की भारी मांग है.