मौत के हफ्तेभर बाद नसरल्लाह का जनाजा, ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई के शामिल होने की अटकलें
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नसरल्लाह के जनाजे में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के शामिल होने की अटकलें भी हैं. लेकिन इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है. साथ ही अभी तक यह भी पता नहीं चल पाया है कि नसरल्लाह का जनाजा कहां और कितने बजे निकाला जाएगा.
लेबनान में इजरायल के हमले में हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत से ईरान भड़का हुआ है. नसरल्लाह की मौत का बदला लेने के लिए ईरान ने इजरायल पर निशाना साधते हुए 180 से ज्यादा मिसाइलें दागी. अब खबर है कि शुक्रवार को उनकी अंतिम यात्रा निकलने वाली है, जिसमें भारी भीड़ उमड़ने का अंदेशा है.
नसरल्लाह के जनाजे में ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई के शामिल होने की अटकलें भी हैं. खामेनेई जुमे की नमाज में शामिल होंगे. इस वजह से कहा जा रहा है कि वह जुमे की नमाज से पहले नसरल्लाह के जनाजे में शामिल हो सकते हैं. लेकिन इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है. साथ ही अभी तक यह भी पता नहीं चल पाया है कि नसरल्लाह का जनाजा कहां और कितने बजे निकाला जाएगा.
खामेनेई ने नसरल्लाह को ईरान आने की दी थी नसीहत
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई ने लेबनान में इजरायली हमले से पहले नसरल्लाह को लेबनान से भाग जाने की चेतावनी दी थी.
टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, खामेनेई ने 17 सितंबर के पेजर हमले के बाद नसरल्लाह को मैसेज भिजवाया था कि उन्हें (नसरल्लाह) अब ईरान आ जाना चाहिए. खामेनेई ने कहा था कि हिज्बुल्लाह के भीतर ही इजराइली एजेंट हैं और वह उन्हें मारने की योजना बना रहे हैं.
नसरल्लाह ने इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) के टॉप कमांडर ब्रिगेडियर जनरल अब्बास निलफोरुशन को हिजबुल्लाह चीफ को बेरूत जाकर यह मैसेज देने को कहा था. इजराइली हमले में उनकी भी मौत हो गई थी. वह उस वक्त नसरल्लाह के ही साथ था.
IDF ने हिज्बुल्लाह पर लेबनान और सीरिया के बीच नागरिक मसना सीमा क्रॉसिंग का उपयोग देश में ईरानी हथियारों की तस्करी करने के लिए करने का आरोप लगाया है. साथ ही चेतावनी दी है कि वह आतंकवादी समूह को नए हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए कार्रवाई करेगा. उधर, इज़रायल और हिज्बुल्लाह के बीच लड़ाई बढ़ने के कारण हाल के दिनों में हज़ारों लोग, मुख्य रूप से सीरियाई, क्रॉसिंग के माध्यम से लेबनान से सुरक्षित जगह शिफ्ट हो गए हैं.
1991 में गल्फ वॉर की समाप्ति ने ईरान और इज़रायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की. सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया. वहीं, ईरान और इज़रायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो-पॉलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया. 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया.