'ईरान की सभी 181 मिसाइलों में 1000 KG विस्फोटक था...', इजरायली राजदूत ने दी कीमत चुकाने की चेतावनी
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भारत में इजरायल के राजदूत, रेवेन अजार ने इजरायल पर ईरान के मिसाइल हमले को "अभूतपूर्व" कदम बताया और ईरान को इस "गंभीर गलती" के लिए भारी कीमत चुकाने की चेतावनी दी. उन्होंने इजरायल की मिसाइल डिफेंस सिस्टम और अंतरराष्ट्रीय साझेदारों की सराहना भी की.
भारत में इजरायल के राजदूत रेवेन अजार ने ईरान के मिसाइल हमले को मानवता के इतिहास में "अभूतपूर्व" कदम बताते हुए कड़ी निंदा की. उन्होंने कहा कि ईरान को इस "गंभीर गलती" के लिए भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. अजार ने इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि इजरायल शांति और स्थिरता चाहता है, लेकिन आक्रामकता के सामने घुटने नहीं टेक सकता.
इजरायली राजदूत ने बताया कि ईरान ने 181 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं, जिनमें प्रत्येक में 700 से 1,000 किलोग्राम तक विस्फोटक भरा हुआ था और उससे बड़ा नुकसान हो सकता था. इजरायली दूत ने कहा, "ईरान ने 181 बैलिस्टिक मिसाइलों से हमल किया, जिससे एक पूरा भवन नष्ट हो सकता था और कई जानें जा सकती थी."
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सहयोगियों को ईरानी अटैक को विफल करने का श्रेय
अजार ने इजरायल की मिसाइल डिफेंस सिस्टम और अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों, खासतौर पर अमेरिका और पड़ोसी अरब देशों, को इस हमले को विफल करने का श्रेय दिया. उन्होंने कहा, "हमारी कुछ मिसाइलें खुले क्षेत्रों में जा गिरीं, लेकिन ईश्वर का शुक्र है कि हम सुरक्षित हैं. इजरायल के पास दुनिया की सबसे अच्छी मिसाइल सिस्टम है."
जहां गिरी मिसाइलें, वहां नहीं हुआ नुकसान
IDF ने हिज्बुल्लाह पर लेबनान और सीरिया के बीच नागरिक मसना सीमा क्रॉसिंग का उपयोग देश में ईरानी हथियारों की तस्करी करने के लिए करने का आरोप लगाया है. साथ ही चेतावनी दी है कि वह आतंकवादी समूह को नए हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए कार्रवाई करेगा. उधर, इज़रायल और हिज्बुल्लाह के बीच लड़ाई बढ़ने के कारण हाल के दिनों में हज़ारों लोग, मुख्य रूप से सीरियाई, क्रॉसिंग के माध्यम से लेबनान से सुरक्षित जगह शिफ्ट हो गए हैं.
1991 में गल्फ वॉर की समाप्ति ने ईरान और इज़रायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की. सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया. वहीं, ईरान और इज़रायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो-पॉलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया. 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया.