क्या मिडिल ईस्ट में होने जा रही है All-Out War? सवाल पर बोले बाइडेन- आपको कितना भरोसा कि बारिश नहीं होगी
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मिडिल ईस्ट में जारी उठापटक के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से पूछा गया कि क्या इस क्षेत्र में All-Out War होने जा रही है. इस पर जो बाइडेन ने उलटा सवाल पूछते हुये कहा कि आपको कितना भरोसा है कि बारिश नहीं होगी?
इजरायल और हमास के बीच शुरू हुई जंग अब लेबनान के बाद ईरान के दरवाजे तक पहुंच चुकी है. शिया बहुल देश ईरान अब खुलकर इस जंग में आगे आ रहा है, जिसके बाद इस वॉर के पूरे मिडिल ईस्ट में फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है. जिस तरह धीरे-धीरे यह जंग बढ़ रही है, उससे सवाल उठ रहा है कि क्या यह पूरी तरह से All-Out War में तब्दील हो जायेगी.
अगर ऐसा होता है तो दुनिया पर इसका बहुत बुरा असर पड़ेगा. क्योंकि All-Out War शुरू होने का मतलब है कि फिर इस जंग को पूरे दृढ़ संकल्प के साथ लड़ा जायेगा. सबसे ज्यादा संसाधन और एनर्जी इस पर ही खर्च किये जायेंगे. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने All-Out War को लेकर एक बयान दिया है.
जंग को टाला जा सकता है: बाइडेन
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा,'मुझे इस बात के ज्यादा आसार नहीं दिखते कि मिडिल ईस्ट में कोई ऑल आउट वॉर होने जा रही है. इस तरह की जंग को टाला जा सकता है, लेकिन इसके लिए और ज्यादा कोशिशें किए जाने की जरूरत है.'
जंग के सवाल पर दिया ये जवाब
बाइडेन से जब पूछा गया कि उन्हें इस बात का कितना भरोसा है कि इस तरह के युद्ध को टाला जा सकता है तो उन्होंने कहा,'आपको कितना भरोसा है कि बारिश नहीं होगी? मुझे नहीं लगता कि कोई All-Out War होने वाली है. हम इसे टाल सकते हैं.'
IDF ने हिज्बुल्लाह पर लेबनान और सीरिया के बीच नागरिक मसना सीमा क्रॉसिंग का उपयोग देश में ईरानी हथियारों की तस्करी करने के लिए करने का आरोप लगाया है. साथ ही चेतावनी दी है कि वह आतंकवादी समूह को नए हथियार प्राप्त करने से रोकने के लिए कार्रवाई करेगा. उधर, इज़रायल और हिज्बुल्लाह के बीच लड़ाई बढ़ने के कारण हाल के दिनों में हज़ारों लोग, मुख्य रूप से सीरियाई, क्रॉसिंग के माध्यम से लेबनान से सुरक्षित जगह शिफ्ट हो गए हैं.
1991 में गल्फ वॉर की समाप्ति ने ईरान और इज़रायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की. सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया. वहीं, ईरान और इज़रायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो-पॉलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया. 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया.