इस सरकारी स्कूल के शिक्षक नहीं लेते पूरी सैलरी, आदिवासी बच्चों के लिए किया बड़ा काम
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इस विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनिल कोठेकर ने अपने 2 शिक्षक साथी रघुनाथ तावने और रामू पवार के साथ मिलकर स्कूल की सूरत बदलने के साथ छात्रों को आधुनिक सुविधा मुहैया कराने की मुहिम शुरू की.
छिंदवाड़ा: आम तौर पर सरकारी स्कूलों और वहां के शिक्षकों को लेकर जनसामान्य के बीच धारणा अच्छी नहीं होती, मगर मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की स्कूल के शिक्षक सरकारी स्कूलों को लेकर बनी धारणा को तोड़ने का काम कर रहे हैं. यहां के शिक्षकों ने स्कूल की सूरत बदल कर नई मिसाल पेश की है.
छिंदवाड़ा के मोहखेड़ विकासखंड का उमरानाला संकुल में स्थित है आदिवासी गांव घोघरी. यहां के शासकीय माध्यमिक शाला की चर्चा हर तरफ है, उसकी भी वजह है क्योंकि यह स्कूल दूसरे सरकारी स्कूलों से अलग है. इस सरकारी स्कूल के 3 शिक्षकों ने अपने वेतन से तय राशि इकट्ठा कर संस्था की तस्वीर बदलने का काम कर दिखाया है.