इमरान खान सत्ता में रहें या जाएं? चीन के चंगुल से अब नहीं निकल पाएगा पाकिस्तान!
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पाकिस्तान ने कर्ज चुकाने के लिए नया कर्ज ले लिया है. यानी कर्ज चुकाने लिए फिर कर्ज. जिससे कर्ज का बोझ और बढ़ गया है. एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने कोरोना संकट के दौरान ही 10 अरब डॉलर का कर्ज लिया.
पाकिस्तान (Pakistan) में इस वक्त जबर्दस्त सियासी उठापटक मची हुई है. इमरान खान की सिफारिश पर राष्ट्रपति ने नेशनल असेंबली को भंग कर दिया है तो एकजुट विपक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई है. लेकिन पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता के पीछे आर्थिक तंगी एक बड़ी वजह है. जिससे पाकिस्तान फिलहाल बाहर निकलने के बारे में सोच नहीं सकता है.
पाकिस्तान की गद्दी पर इमरान खान रहें या ना रहें, फिलहाल पाकिस्तान की मुश्किलें कम होने वाली नहीं हैं. अगस्त 2018 को जब इमरान खान (Imran Khan) ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी. उस समय उन्होंने 'नया पाकिस्तान' (New Pakistan) बनाने का नारा दिया था. लेकिन पाकिस्तान आर्थिक तौर पर इमरान सरकार के कार्यकाल में और कमजोर हुआ है.
पाकिस्तान पर भारी कर्ज
पाकिस्तान आज चौतरफा कर्ज में डूबा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के मुताबिक पाकिस्तान पर विदेशी कर्ज बढ़कर 90 अरब डॉलर को पार कर गया है. अभी भी इमरान खान कर्ज के भरोसे अपनी गाड़ी को पटरी पर दौड़ाने की बात कर रहे हैं.
पाकिस्तान पर जितना कर्ज है, उसमें से केवल चीन का हिस्सा 20 फीसदी है. यानी करीब 18 अरब डॉलर का पाकिस्तान पर चीन का कर्ज है. इमरान सरकार के कार्यकाल में पाकिस्तान पर चीन का प्रभाव बढ़ा है. ग्वादर में चीन नया शहर बना रहा है. पाकिस्तान का सीपेक चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशएटिव का अहम हिस्सा है.
कर्ज के जाल में इमरान सरकार सबसे ज्यादा उलझी है. पाकिस्तानी अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने एसबीपी डाटा के हवाले से एक रिपोर्ट दी है. जिसके मुताबिक पाकिस्तान में इमरान सरकार आने के बाद कर्ज में 70 फीसदी का इजाफा हुआ है. हालांकि पिछले साल इमरान खान ने कहा था कि उनकी सरकार ने ढाई साल के कार्यकाल में करीब 20 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज चुकाया है.
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