इकोनॉमी से लेकर हेल्थ सर्विसेस तक... 14 साल बाद कंजर्वेटिव से क्यों छिनी सत्ता? जानें सुनक की हार के 5 कारण
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पिछले कुछ वर्षों से ब्रिटेन एक के बाद एक कई संकटों का सामना कर रहा है, जो सुनक सरकार की हार का सबसे बड़ा कारण हैं. इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण अर्थव्यवस्था है. देश निम्न विकास दर से जूझ रहा है और अन्य प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत खराब प्रदर्शन कर रहा है. 2023 में, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में सिर्फ 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इस साल की शुरुआत में मंदी आ गई.
ब्रिटेन में 14 साल सत्ता में रहने के बाद प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव पार्टी को एक बड़ी हार का सामना करना पड़ा है. सुनक ने हार स्वीकार करते हुए आम चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी ली और जीत के लिए लेबर पार्टी को बधाई दी. सत्ता विरोधी लहर, गिरती अर्थव्यवस्था से लेकर आप्रवासन और खराब स्वास्थ्य सेवा तक कंजर्वेटिव पार्टी की हार के कई अहम कारण हैं.
सुस्त अर्थव्यवस्था
पिछले कुछ वर्षों से ब्रिटेन एक के बाद एक कई संकटों का सामना कर रहा है, जो सुनक सरकार की हार का सबसे बड़ा कारण हैं. इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण अर्थव्यवस्था है. देश निम्न विकास दर से जूझ रहा है और अन्य प्रमुख विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में बहुत खराब प्रदर्शन कर रहा है. 2023 में, ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में सिर्फ 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई और इस साल की शुरुआत में मंदी आ गई.
बढ़ती हुई महंगाई
अर्थव्यवस्थ के साथ-साथ कॉस्ट ऑफ लिविंग की लागत भी एक बड़ा संकट है. अक्टूबर 2022 में महंगाई 40 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई और हाल ही में इसमें कमी आई है. लेकिन इसने ब्रिटेन को गरीब और उसके नागरिकों को नाराज कर दिया है.
चरमरा रहीं सार्वजनिक सेवाएं
1991 में गल्फ वॉर की समाप्ति ने ईरान और इज़रायल के बीच खुली दुश्मनी के युग की शुरुआत की. सोवियत संघ के पतन और एकमात्र महाशक्ति के रूप में अमेरिका के उदय ने इस क्षेत्र को और अधिक पोलराइज्ड कर दिया. वहीं, ईरान और इज़रायल ने खुद को लगभग हर प्रमुख जियो-पॉलिटिकल विमर्श में एक दूसरे के खिलाफ पाया. 1980 के दशक में शुरू हुआ ईरान का न्यूक्लियर प्रोग्राम 1990 के दशक से विवाद का केंद्र बन गया.