आतंकी से विद्रोही तक... कभी लादेन और बगदादी के साथ था जोलानी, फिर ऐसे मिटा दी असद की ताकत
AajTak
अबू मोहम्मद अल-जोलानी की महत्वाकांक्षाएं अल-कायदा की विचारधारा से आगे बढ़ गईं थीं, क्योंकि वह सीरिया की बिखरी हुई विपक्षी ताकतों के बीच अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता था. साल 2016 में, उसने जबात अल-नुसरा को जबात फतह अल-शाम (JFS) के रूप में पुनः स्थापित किया.
Rebellion Leader Abu Mohammad al-Jolani: कुख्यात आंतकी संगठन के जिहादी आंदोलन में एक खास भूमिका अदा करने वाले विद्रोही नेता अबू मोहम्मद अल-जोलानी का नाम सीरिया के जटिल संघर्ष में एक अहम किरदार के रूप में उभरा है. अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट (ISIS) के सदस्य से लेकर स्थानीय विद्रोही बल के नेता बनने तक का सफर जोलानी ने यूं ही पूरा नहीं किया, बल्कि सीरिया की जंग में उसकी भूमिका और बहुआयामी शक्ति के साथ-साथ जनता के साथ जुड़ाव ने भी इसमें खास रोल अदा किया है.
कौन है अहमद हुसैन अल-शरा उर्फ अबू मोहम्मद अल-जोलानी सीरिया के डेयर एज़-ज़ोर प्रांत में 1981 में अहमद हुसैन अल-शरा के रूप में उसका जन्म हुआ था. कुछ जगहों पर उसके जन्म के स्थान को सऊदी अरब के रियाद में बताया गया है और जन्म के साल को 1982. अहमद हुसैन अल-शरा को बाद में अबू मोहम्मद अल-जोलानी के नाम से जाना गया. अहमद हुसैन अल-शरा के रूप में जन्मे अल-जुलानी ने कम उम्र में ही उग्रवाद की राह पकड़ ली थी. उसका परिवार गोलान हाइट्स से ताल्लुक रखता है, लेकिन उसने अपना बचपन दमिश्क में बिताया. जोलानी ने एक ऐसा करियर अपनाया जो उसे चरमपंथी हलकों में ले गया. साल 2000 के दशक की शुरुआत में, वह अबू मुसाब अल-जरकावी के नेतृत्व में इराक जाकर आतंकी संगठन अल-कायदा (AQI) में शामिल हो गया. साल 2003 में इराक पर अमेरिकी हमले के बाद, जोलानी ने AQI के भीतर खास मुकाम हासिल किया, और अराजकता का लाभ उठाकर उसने एक उग्रवादी रणनीतिकार के रूप में अपनी साख बनाई.
गिरफ्तारी और रिहाई साल 2006 में जरकावी की मौत के बाद, अबू मोहम्मद अल-जोलानी ISIS के भावी नेता अबू बकर अल-बगदादी का करीबी सहयोगी बन गया. कथित तौर पर उसे इराक में अमेरिकी सेना द्वारा कैद कर लिया गया था और 2008 में रिहा किया गया. यह एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसने उसे जिहादी रैंकों में फिर से शामिल होने का मौका दे दिया.
जबात अल-नुसरा का गठन साल 2011 में, बशर अल-असद के खिलाफ सीरिया के विद्रोह के बीच, अबू मोहम्मद अल-जोलानी सीरिया में अल-कायदा शाखा स्थापित करने के मिशन के साथ अपने वतन लौट आया. उसने 2012 में अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी के प्रति निष्ठा की शपथ लेते हुए जबात अल-नुसरा (द सपोर्ट फ्रंट) की स्थापना की. अल नुसरा समूह असद की सेनाओं के खिलाफ युद्ध के मैदान में अपनी सफलता और आत्मघाती बम विस्फोटों और फांसी सहित क्रूर रणनीति के लिए जल्दी ही कुख्यात हो गया था.
अल-कायदा से तोड़ा नाता जानकार मानते हैं कि अबू मोहम्मद अल-जोलानी की महत्वाकांक्षाएं अल-कायदा की विचारधारा से आगे बढ़ गईं थीं, क्योंकि वह सीरिया की बिखरी हुई विपक्षी ताकतों के बीच अपना प्रभाव बढ़ाना चाहता था. साल 2016 में, उसने जबात अल-नुसरा को जबात फतह अल-शाम (JFS) के रूप में पुनः स्थापित किया और अल-कायदा से औपचारिक रूप से अलग होने की ऐलान कर दिया. यह कदम रणनीतिक था, जिसका उद्देश्य सीरियाई विद्रोहियों और स्थानीय आबादी के बीच व्यापक सहमति और समर्थन हासिल करना था.
जिहादी आंदोलन से बनाई दूरी एक साल बाद, JFS ने अन्य गुटों के साथ विलय करके हयात तहरीर अल-शाम (HTS) का गठन किया, जिसका नेता अबू मोहम्मद अल-जोलानी ही था. HTS ने खुद को असद के शासन से लड़ने वाले विद्रोही समूह के रूप में स्थापित किया. इस समूह ने खुद को वैश्विक जिहादी उद्देश्यों और आंदोलन से दूर कर लिया था.
बांग्लादेश ने पाकिस्तान से आलू और प्याज खरीदने का फैसला किया है. यह कदम भारत के लिए बड़ा झटका है, क्योंकि बांग्लादेश अब तक इन जरूरतों के लिए भारत पर निर्भर था. भारत और बांग्लादेश के बीच मजबूत व्यापारिक संबंध हैं, लेकिन इस फैसले से रिश्तों में तनाव आ सकता है. इस फैसले के पीछे क्या है यूनुस सरकार का प्लान, जानिए.
सीरिया में विद्रोहियों के कब्जे के बाद भी इजरायल, अमेरिका और तुर्की लगातार हवाई हमले कर रहे हैं. इजरायल ने पिछले 24 घंटों में 300 से ज्यादा हमले किए हैं. इन हमलों का मुख्य लक्ष्य केमिकल हथियारों के भंडार और सीरियाई सेना के हथियार हैं. इजरायल का दावा है कि उसने सीरिया के सबसे बड़े केमिकल हथियारों के ठिकाने को नष्ट कर दिया है. अमेरिका ने इस दावे की पुष्टि की है. इजरायल को डर है कि ये हथियार आईएसआईएस या अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों के हाथ न लग जाएं.
सीरिया में बशर अल असद की सरकार पर केमिकल हथियारों के इस्तेमाल के गंभीर आरोप लगे हैं. 2013 और 2017 में हुए बड़े हमलों में सैकड़ों लोगों की मौत हुई. इजराइल ने दमिश्क में एक केमिकल वेपन इंस्टीट्यूट को नष्ट किया. विद्रोहियों ने 11 दिनों में सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया. अंतरराष्ट्रीय दबाव में असद सरकार ने केमिकल हथियार नष्ट करने की सहमति दी, लेकिन हमले जारी रहे. अमेरिका ने सीरिया के एयरबेस पर मिसाइल हमला किया.
पाकिस्तान के पूर्व आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज़ हमीद पर गंभीर आरोप लगे हैं. उन पर गुप्त दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ और कानून का उल्लंघन करने का आरोप है. फैज़ हमीद वही अधिकारी हैं जिनकी तस्वीर तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद सेरेना होटल में खींची गई थी. यह तस्वीर दुनिया भर में वायरल हुई थी. पाकिस्तान की सेना ने पहले ही फैज़ हमीद को हिरासत में ले लिया था. अब उन पर लगे आरोपों से पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी और सेना की छवि को बड़ा झटका लगा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का मजाक उड़ाया है. ट्रंप ने ट्रूडो को 'कनाडा के महान राज्य का गवर्नर' कहकर संबोधित किया. उन्होंने कनाडा को अमेरिका का '51वां राज्य' बनने का सुझाव देते हुए कहा कि इससे टैरिफ और व्यापार मुद्दों पर बातचीत आसान होगी. यह पोस्ट ट्रूडो की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाने और अमेरिका की शक्ति प्रदर्शित करने का प्रयास माना जा रहा है.