अस्पताल में सफाईकर्मी मां की होनहार बेटी हैं रोहिणी, जेनेवा में 'जय श्रीराम' बोलकर चर्चा में आईं
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UN के सम्मेलन में जय श्री राम का जयकारा लगाकर अपनी बात शुरू कर रही रोहिणी घावरी काफी चर्चा में हैं. सोशल मीडिया में उन्हें एक तरफ तारीफ मिल रही है तो कई लोग उन्हें ट्रोल भी कर रहे हैं. आइए- चर्चा में आईं इंदौर की रहने वाली रोहिणी घावरी के बारे में जानते हैं.
होनहार छात्रा और प्रखर वक्ता रोहिणी घावरी बेबाकी से अपनी बात रखने में माहिर हैं. इन दिनों उनकी चर्चा संयुक्त राष्ट्र के मंच पर 'जय श्री राम' का नारा लगाने को लेकर हो रही है. इससे पहले 2019 में रोहिणी सुर्खियों में आई थीं. तब उन्हें मध्य प्रदेश सरकार के अनुसूचित जनजाति विभाग ने एक करोड़ रुपए की स्कॉलरशिप दी थी. aajtak.in ने रोहिणी से बातचीत की और जाना कि उनका अब तक का सफर कैसा रहा है.
रोहिणी बताती हैं कि मेरा बचपन मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के पलासिया इलाके में बीता है. उनका जन्म 28 अगस्त को हुआ, वो दलित समाज से आती हैं. वो कहती हैं कि मेरी मम्मी अभी भी इंदौर के बीमा हॉस्पिटल में सफाई कर्मी हैं, वहीं पिता अब समाजसेवा करते हैं. रोहिणी के घर में उनके अलावा उनकी दो छोटी बहनें और एक छोटा भाई है. उनकी मां ने बहुत अभाव से अपनी बेटियों को पाला है. उन्होंने बताया कि मां ने बच्चों को अपने जेवर बेचकर इस काबिल बनाया है.
मां अब भी करती हैं सफाई का काम
रोहिणी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई इंदौर से की. वहीं उनकी दो छोटी बहनों में एक डेंटिस्ट है जो कि हाल ही में अभी मेडिकल ऑफिसर बनी हैं. वहीं दूसरी बहन लॉ कर रही है , एक भाई है जो इंजिनियरिंग कर रहा है. वो कहती हैं कि हम चारों बहनें और भाई अभी अपना करियर बनाने के लिए पढ़ाई में ही लगे हैं, अभी भी मेरी मां सफाईकर्मी का ही काम करती है.
वो कहती हैं कि मैंने पूरी गरीबी से लेकर आज तक की कहानी देखी है. मैं भाई बहनों में सबसे बड़ी हूं, मैंने देखा है कैसे एक ही कमरे के घर में हम चारों भाई बहनों को एक गद्दे में सोना पड़ता था. पिता की कमाई भी ऐसी नहीं थी कि वो हमारे खर्च उठा पाते, बस किसी तरह मां हमारी फीस भरती रहीं. फिर, एमएससी की पढ़ाई के बाद मुझे एक करोड़ रुपये की स्कॉलरशिप मिली, जिससे मैं यहां रहकर पीएचडी कर रही हूं. लेकिन स्विटजरलैंड इतना महंगा है कि यहां प्रतिमाह दो लाख रुपये तक का खर्च आता है, उस पर पढ़ाई का खर्च भी.
पार्ट टाइम जॉब करके कर रही पढ़ाई
कहते हैं, किस्मत का दरवाजा हर मौके पर कहीं न कहीं छिपा रहता है. इंसान को हर पल तकदीर आजमाते रहना चाहिए, क्योंकि कौन सा पल उसकी जिंदगी बदल दे, यह कहना मुश्किल है. कुछ ऐसा ही हुआ अमेरिका की केली स्पार के साथ. एक छोटे से मौके को न छोड़ना उनकी जिंदगी के लिए वरदान साबित हुआ, और उनकी किस्मत ने ऐसा पलटी मारी कि उनकी पूरी दुनिया ही बदल गई.
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