UAE की कंपनी ने भारत सरकार को कोर्ट में घसीटा, मिली हार!
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संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने बॉक्साइट की सप्लाई नहीं होने के आरोप में भारत सरकार के खिलाफ आईडीआरसी का दरवाजा खटखटाया था. हालांकि, यूएई की अपील को खारिज कर दिया गया है.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की एक कंपनी ने बॉक्साइट की सप्लाई पूरी नहीं करने का आरोप लगाते हुए भारत सरकार के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय एजेंसी आईडीआरसी का दरवाजा खटखटाया था और 27.3 करोड़ डॉलर के हर्जाने की मांग की थी. हालांकि, यूएई की अपील को खारिज कर दिया गया है.
लंदन स्थित 'इंटरनेशनल डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन सेंटर फॉर आर्बिट्रेशन एंड मीडिएशन' (आईडीआरसी) एक अंतरराष्ट्रीय एजेंसी है जहां विवादों का निपटारा किया जाता है.
यूएई की कंपनी रस अल-खैमाह इन्वेस्टमेंट अथॉरिटी (राकिया) ने अक्टूबर 2008 में आंध्र प्रदेश सरकार के साथ बॉक्साइट सप्लाई एग्रीमेंट (बीएसए) किया था.
इस समझौते के तहत आंध्र प्रदेश सरकार को विशाखापट्टनम जिले के पूर्वी घाटों के जेरेला डिपॉजिट्स से बॉक्साइट की सप्लाई करनी थी.
यूएई कंपनी राकिया ने आरोप लगाया कि आंध्र प्रदेश सरकार बॉक्साइट की सप्लाई नहीं कर पाई जिसकी वजह से उसे 27.3 करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ. इस पूरे विवाद में भारत सरकार को इसलिए घसीटा गया क्योंकि उसने राकिया की अनराक एल्यूमिनियम लिमिटेड कंपनी में एल्यूमिना रिफाइनरी बनाने के लिए यूएई के साथ द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) की थी.
यूएई की राकिया कंपनी का आरोप है कि समय पर बॉक्साइट की सप्लाई ना होना और अनराक के साथ आंध्र प्रदेश सरकार की एपी मिनरल डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एपीएमडीसी) के साथ हुए बॉक्साइट सप्लाई एग्रीमेंट को रद्द किया जाना द्विपक्षीय निवेश संधि का उल्लंघन है.
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