RIP Pele: अमोल पालेकर की 'गोलमाल' से था फुटबॉल लेजेंड पेले का कनेक्शन, जानें कैसे
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फुटबॉल लेजेंड पेले अब इस संसार में नहीं रहे. उनकी बेटी ने सोशल मीडिया पर पिता के निधन की जानकारी दी. पेले की लोकप्रियता सिर्फ फुटबॉल तक ही सीमित नहीं रही, बल्कि पॉप कल्चर में फिल्मों के जरिए भी खूब फैली. उनकी लोकप्रियता इंडियन फिल्मों तक भी फैली और आइकॉनिक फिल्म 'गोलमाल' में उनका बहुत मजेदार रेफरेंस था.
'द ब्लैक पर्ल' के नाम से पूरी दुनिया में पहचाने गए, फुटबॉल लेजेंड पेले का 82 साल इई उम्र में निधन हो गया. उनकी बेटी केलि नैसिमेंटो ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में ये जानकारी दी, जिससे पूरी दुनिया के फुटबॉल प्रेमियों में शोक की लहर दौड़ गई. फुटबॉल में पेले ने जो मुकाम हासिल किया वो कितना बड़ा था इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके नाम के कई रेफरेंस पॉप कल्चर में मिल जाते हैं.
खुद आधा दर्जन से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके और 100 से ज्यादा गाने लिख चुके पेले, दुनिया की सबसे चर्चित शख्सियतों में से एक थे. 1977 में वो पहली बार इंडिया आए और उनके आने पर जो माहौल था, उसके बारे में कई किताबों और पुरानी खबरों में पढ़ने को मिलता है. फुटबॉल एक्सपर्ट नोवी कपाड़िया ने अपनी किताब में लिखा था किका उस वक्त ब्राजीलियन लेजेंड की एक झलक पाने के लिए कोलकाता के दम दम एयरपोर्ट पर लाखों की भीड़ जुट गई थी. दुनिया का इतना बड़ा आइकॉन और उसका इंडिया में आना किसी हिंदी फिल्म में दर्ज न हो, ये कैसे हो सकता है!
राम प्रसाद का 'गोलमाल' और 'द ब्लैक पर्ल' फुटबॉल के सबसे बड़े नामों में से एक पेले का जिक्र, उस हिंदी फिल्म में आता है जिसे कॉमेडी में आइकॉनिक माना जाता है- गोलमाल. रोहित शेट्टी की नहीं, ऋषिकेश मुखर्जी की 'गोलमाल', जो 1979 में रिलीज हुई थी और जिसके हीरो अमोल पालेकर थे. फिल्म की रिलीज से दो साल पहले पेले इंडिया आए थे, और जरूर उनकी फैन फॉलोइंग का इंडिया में हाल देखकर ही 'गोलमाल' के राइटर सचिन भौमिक को ये आईडिया आया होगा कि सांसारिक कूलता की परिधि से दूर, नौकरी के समंदर में डूबे एक विशुद्ध कामगार की पहचान यही होगी कि वो पेले और दुनिया में उनकी जोरदार फॉलोइंग के बारे में कुछ न जानता हो!
'गोलमाल' में अमोल पालेकर का किरदार एक अदद नौकरी के लिए इस हद तक डेस्परेट था कि एक शुद्धतावादी मालिक, भवानी शंकर की कम्पनी में नौकरी के लिए, अपना एक अति शुद्धतावादी अवतार गढ़ लेता है- राम प्रसाद. राम प्रसाद अब भवानी शंकर की कंपनी उर्मिला ट्रेडर्स में नौकरी के लिए पहुंचा है. उसके इंटरव्यू से पहले, ऋषिकेश मुखर्जी एक सीन से ये साफ कर देते हैं कि भवानी शंकर को अपने काम से इतर खेल वगैरह में दिलचस्पी रखने वाले लड़कों से कितनी चिढ़ है.
राम प्रसाद से पहले इंटरव्यू देने लड़का भवानी शंकर से कहता है, 'मेरे अंकल को तो आप जानते ही होंगे सर. अब वो फुटबॉल के मशहूर कोच हो गए हैं सर. जब ब्लैक पर्ल यहां आया था न, तब मोहन बगान की टीम उन्होंने ही चुनी थी. जैसे रविन्द्र नाथ को गुरुदेव, गांधी जी को महात्मा या बापू कहते हैं न सर, उसी तरह पेले को कहते हैं ब्लैक पर्ल.' स्पोर्ट्स के लिए तगड़ा प्रेम रखने वाले इस लड़के से भवानी शंकर को जो चिढ़ होती है, वो फिल्म के सीन में आपको साफ दिख जाएगी.
राम प्रसाद का 'गोलमाल' और पेले इस लड़के के बाद राम प्रसाद दशरथ प्रसाद शर्मा, इंटरव्यू देने पहुंचता है. उसे पहले से बताया जा चुका है कि भवानी शंकर को मॉडर्न कपड़े पहने, स्पोर्ट्स में दिलचस्पी रखने वाले, चपल टाइप यंग लड़कों से थोड़ी चिढ़ है. पहले वाले कैंडिडेट से चिढ़े बैठे भवानी शंकर, राम प्रसाद से इंटरव्यू की शुरुआत में ही स्पोर्ट्स की जानकारी लेने लगते हैं. वो जैसे ही 'ब्लैक पर्ल' का नाम लेते हैं, राम प्रसाद कहता है, 'मुझे तो ये पता नहीं था कि मोती काला भी होता है, मैं तो ये समझता था कि मोती श्वेत वर्ण ही होता है.'
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