Patna यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में RJD को एक भी सीट नहीं, बीजेपी ने तेजस्वी पर साधा निशाना
AajTak
PUSU Elections Result: जनता दल यूनाइटेड पटना विश्वविद्यालय के चुनाव में अपने छात्र इकाई की जीत से उत्साहित है और इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज की जीत बताया है. हालांकि, बीजेपी ने आरोप लगाया है कि जनता दल यूनाइटेड अपने तकनीकी और प्रशासनिक प्रबंधन के कारण चुनाव में 5 में से 4 सीटें जीतने में कामयाब रही.
पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में शनिवार को राजद को एक भी सीट नहीं मिलने पर बिहार में सियासत तेज हो गई है. राजद पर निशाना साधते हुए भाजपा ने कहा है कि पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में एक भी सीट जीतने में पार्टी की विफलता इस बात का संकेत है कि छात्रों ने उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व को खारिज कर दिया है, जो खुद को युवा नेता बताते हैं.
भाजपा प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह ने कहा, "पटना विश्वविद्यालय के छात्रों ने राजद के 'युवराज' तेजस्वी यादव को खारिज कर दिया है. राजद एक भी सीट पाने में नाकाम रही है."
दूसरी ओर जनता दल यूनाइटेड पटना विश्वविद्यालय के चुनाव में अपने छात्र इकाई की जीत से उत्साहित है और इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज की जीत बताया है.
जनता दल यूनाइटेड के नेता अभिषेक झा ने कहा, "पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में जनता दल यूनाइटेड की जीत समाज के सभी वर्गों में नीतीश कुमार की स्वीकार्यता का सबूत है. सभी को नीतीश कुमार की नीति और उनकी कार्यशैली पर भरोसा है. हम राज्य के विकास और विश्वविद्यालयों के बेहतरी के लिए काम जारी रखेंगे."
हालांकि, बीजेपी ने आरोप लगाया है कि जनता दल यूनाइटेड अपने तकनीकी और प्रशासनिक प्रबंधन के कारण चुनाव में 5 में से 4 सीटें जीतने में कामयाब रही.
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, "जनता दल यूनाइटेड अपने तकनीकी और प्रशासनिक प्रबंधन के साथ-साथ 'सरकारी गुंडागर्दी' के कारण अधिक सीटें जीतने में कामयाब रही है. जनता दल यूनाइटेड ने भी राजद को उसकी जगह दिखाई है. बिहार के युवाओं ने नीतीश कुमार को खारिज कर दिया है जिनकी अब बिहार की राजनीति में कोई प्रासंगिकता नहीं है.''
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.
मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?