Pathan Film Review: कुर्सी की पेटी बांधो या ना बांधो... सीट से उठने नहीं देता पठान का टशन और एक्शन
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आज का दिन शायद सिनेमालवर्स के लिए 'पठान' डे साबित हो. पोस्ट कोरोना के बाद ऐसा क्रेज थिएटर्स में देखने को नहीं मिला. चार साल बाद अपने फेवरेट सुपरस्टार को भरपूर एक्शन करते देखना फैन्स के लिए किसी ट्रीट से कम नहीं. अब जानें कैसी है वो फिल्म जिसकी हर तरफ चर्चा है.
शाहरुख खान चार साल के लंबे ब्रेक के बाद वापसी कर रहे हैं. जाहिर सी बात है बादशाह के फैंस के लिए ये सेलिब्रेशन का वक्त है. इसके साथ ही पिछले कुछ सालों से ड्राई चल रहे बॉलीवुड के बॉक्स ऑफिस की नजर भी पठान पर टिकी है. क्या अपने फैंस और बॉक्स ऑफिस की उम्मीदों पर पठान खरा उतरता है? ये जानने के लिए पढ़ें रिव्यू.
कहानी फिल्म में दिखाया गया है कि कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद पड़ोसी मुल्क में भूचाल आ जाता है. ऐसे में पाकिस्तान एक हाईटेक प्राइवेट आतंकवादी गिरोह 'आउटफिट एक्स' का सहारा लेता है. इस गिरोह का लीडर जिम (जॉन अब्राहम) एक समय में इंडियन इंटेलिजेंस फोर्स का हिस्सा हुआ करता था लेकिन उसके साथ हुए हादसे ने उसे देश से नफरत करने पर मजबूर कर दिया. जिम का मकसद एक वायरस के जरिए इंडिया में तबाही मचाना है. इंडियन इंटेलिजेंस एजेंसी को जिम के इस इरादे की भनक लगती है और उसके अगेंस्ट वो अपने सबसे काबिल एजेंट पठान(शाहरुख खान) को खड़ा करते हैं. इस मिशन के दौरान पठान की मुलाकात रूबीना मोहसीन(दीपिका पादुकोण) से होती है. रूबीना कौन है? वो क्या वायरस है जिससे देश तबाह हो सकता है? जिम की बैकड्रॉप स्टोरी क्या है? और सबसे अहम सवाल क्या पठान अपने इस मकसद में कामयाब हो पाता है? इन सब सवालों के जवाब के लिए थिएटर का रूख करना होगा.
डायरेक्शन वॉर जैसी फिल्मों में अपनी एक्शन थ्रिलर का जलवा बिखेर चुके डायरेक्टर सिद्धार्थ आनंद पठान लेकर आए हैं. सिद्धार्थ की इस फिल्म में आपको जिस मसाला फिल्म की उम्मीद है वो भरपूर मात्रा में है. पावरपैक्ड एक्शन, एक्सॉटिक लोकेशन, रोमांस, कॉमिडी, डायलॉगबाजी, देशभक्ति इमोशंस से लबरेज फिल्म फैंस के लिए पूरी तरह पैसा वसूल साबित है. बात जब सुपरस्टार और मसाला फिल्म के कॉम्बिनेशन की हो, तो कहानी या सीक्वेंस में लॉजिक ढूंढना सही नहीं होता है. कहानी के मामले में बेशक फिल्म का पक्ष कमजोर है लेकिन जिस तरह के एक्शन और डायलॉग्स लिखे गए हैं, वो इन कमी पर पूरी तरह पर्दा डालते हैं.
फर्स्ट हाफ थोड़ा लंबा जरूर है लेकिन जिस हुक पॉइंट पर इंटरवल रखा गया है कि आप फौरन इसके दोबारा शुरू होने का इंतजार करने लगते हैं. कहानी के सेकेंड हाफ में आप पठान की दुनिया में इतना खो जाते हैं कि कई बार सीटी बजाने, क्लैपिंग करने से बिलकुल नहीं हिचकते हैं. यकीन मानें 2 घंटे 26 मिनट पर बनी इस फिल्म में आपको वो हर इमोशन मिलता है, जो एक फैन देखना चाहता है. पूरी फिल्म देखने पर यह एहसास होता है कि मेकर्स ने आपको ठगा नहीं है बल्कि उन लॉयल फैंस को एक तोहफा दिया है, जिसकी उन्हें अदद दरकार थी. फिल्म के एक्शन और वीएफएक्स पर बेमिसाल काम किया गया है. कुछ एक्शन सीक्वेंस आपको डायजेस्ट नहीं होंगे लेकिन स्क्रीन पर वो इतने भव्य दिखते हैं, जिसे देखकर आपके होश उड़ जाएंगे.
टेक्निकल ऐंड म्यूजिक फिल्म का मजबूत पक्ष इसका वीएफएक्स, सिनेमैटोग्राफी, एक्शन सीक्वेंस और म्यूजिक है. दुबई, पेरिस, अफगानिस्तान हो या अफ्रीका Satchith Paulose की सिनेमैटोग्राफी से हर फ्रेम पर शहर और लोकेशन की भव्यता खूबसूरत दिखी है. स्क्रीन पर पठान एक लार्जर दैन लाइफ वाली फील देती है. फिल्म के गानों ने तो रिलीज से पहले ही बवाल मचाया था. बेशर्म रंग और झूमे जो पठान गानों की फिल्मिंग सीन्स के दौरान सटीक बैठती है. सचित और अंकित बलहारा की म्यूजिक ने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया है.
फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी फिल्म के दौरान थ्रिल और एक्साइटमेंट को बढ़ाने में फ्यूल का काम करता है. पठान के एक्शन के परफेक्शन के लिए विदेशी और कई देसी एक्शन ट्रेनर का समायोजन दिखा है. उनका काम सौ प्रतिशत से भी बेहतर है. फिल्म के न केवल लोकेशन भव्य हैं बल्कि इसके सभी कास्ट भी स्टाइलिश नजर आते हैं. शाहरुख, दीपिका ने तो अपने पहले लुक में ही महफिल लूट ली थी लेकिन जिस तरह से सभी कास्ट के कॉस्ट्यूम और स्टाइलिंग और डिटेलिंग से काम किया गया है, उसकी तारीफ करनी पड़ेगी. ममता आनंद, निहारिका जॉली और शलीना नथानी का स्टाइलिंग कमाल का है. शाहरुख की लुक और बॉडी पर जो काम हुआ है, उनके ट्रेनर प्रशांत सावंत की मेहनत भी साफ दिखती है.
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