IndiGo Success Story: उधारी के विमान से शुरू हुई थी इंडिगो... हवाई चप्प्पल वालों को भी कराया सफर, आज 1 बिलियन डॉलर की कमाई
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जहां एक तरफ एविएशन सेक्टर में कई कंपनियां मुश्किल से गुजर रहे हैं. इस बीच, IndiGo सिर्फ तीन महीने में 1 अरब डॉलर का प्रॉफिट कमाया है. ऐसा करने वाली देश की पहली एयरलाइंस बनी है. आइए जानते हैं इसकी सफलता की पूरी कहानी.
भारत की एविशन सेक्टर की कुछ कंपनियां आर्थिक संकट में फंसी हुई हैं. गो फर्स्ट की उड़ाने बंद हो चुकी हैं. लेकिन इस बीच भारत की सबसे बड़ी एयलाइंस Indigo ने इतिहास रच डाला है. इंडिगो ने एक वित्त वर्ष के दौरान करीब 1 अरब डॉलर का मुनाफा कमाया है. ऐसा कारनाम करने वाली ये पहली भारतीय विमानन कंपनी बनी है.
इंडिगो ने गुरुवार को इस जनवरी-मार्च तिमाही में 1,895 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया. यह पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 919 करोड़ रुपये से 106% अधिक है. एयरलाइन ने कहा कि रेवेन्यू 25.9 फीसदी बढ़कर 17,825.30 करोड़ रुपये हो चुका है. कंपनी ने फाइलिंग में जानकारी दी कि चौथी तिमाही में 25.5 फीसदी ग्रोथ बढ़कर पैसेंजर टिकट रेवेन्यू 15,600 करोड़ रुपये हो चुका है. कंपनी के ऊपर कुल इतनी देनदारी इंडिगों के पास कुल कैश बैलेंस 34,737 करोड़ रुपये है. इसमें 20,823 करोड़ रुपये की मुफ्त कैश और 13,914 करोड़ रुपये की रिस्ट्रीक्शन कैश शामिल है. रजिस्टर्ड परिचालन पट्टा देनदारी 43,488 करोड़ रुपये और कुल लोन 51,280 करोड़ रुपये है.
दो दोस्तों ने मिलकर खोली कंपनी इंडिगो देश की सबसे बड़ी एयरलाइन है. इसकी शुरुआत 2006 में हुई थी और आज देश के घरेलू बाजार में इसकी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है. इस एयरलाइन से देश के आधे से ज्यादा यात्री सफर करते हैं. दो दोस्त राहुल भाटिया और राकेश गंगवाल ने मिलकर इस कंपनी की नींव डाली थी. राहुल भाटिया और राकेश ने कंपनी की शुरुआत से पहले इस सेक्टर की कई दिग्गज कंपनियों में काम कर चुके थे. ऐसे में उन्हें अच्छा खास नॉलेज था. राहुल ने राकेश के सामने एयरलाइन कंपनी खोलने का प्रस्ताव रखा और फिर 2004 में डिगो की पेरेंट कंपनी इंटरग्लोब एविएशन की शुरुआत हो गई.
उधारी के विमान पर शुरू हुई फ्लाइट जिस समय इंडिगो की शुरुआत हुई थी, उस दौरान एविएशन सेक्टर भारी संकट से जूझ रहा था. इसके बावजूद दोनों ने कंपनी खोलने की ठान ली. उन्हें उसी साल एयरलाइन शुरू करने का लाइसेंस भी मिल गया, लेकिन कंपनी के पास विमान नहीं होने के कारण 2006 तक सेवाएं शुरू नहीं हो पाई. गंगवाल ने अपनी जान-पहचान के चलते कंपनी को एयरबस से उधारी पर 100 विमान दिलाए और फिर 4 अगस्त 2006 से कंपनी ने अपनी उड़ान भरना शुरू कर दिया.
कैसे सफल हुई ये कंपनी इंडिगो ने जब अपना सफर शुरू किया तो कई कंपनियां मुश्किल दौर से गुजर रही थीं. ऐसे में बड़ी कंपनियों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना आसान नहीं था. ऐसे में कंपनी ने एक प्लान बनाया और अपना टारगेट कस्टमर सेट किया. कंपनी ने ऐसे लोगों पर फोकस किया, जो हवाई सफर करना तो चाहते थे, लेकिन उनके पास ज्यादा पैसे नहीं थे. इस प्लान के साथ इंडिगो के टिकट खूब बिके और उसे नुकसान भी न के बराबर हुआ. फिर कंपनी एक के बाद एक शहरों को जोड़ने लगी और कम कीमत में लोगों हवाई सफर कराना शुरू कर दिया. यहां तक की हवाई चप्पल पहनने वाले व्यक्तियों का भी प्लेन में बैठने का सपना साकार हुआ.
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