
Fahman Khan: मुंबई में 6 महीने रहने के बाद भाग गया था टीवी एक्टर, कभी 18 लोगों संग शेयर किया रूम
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अपनी जर्नी पर फहमान कहते हैं, बचपन में मुझे एंगर इश्यूज बहुत थे. मेरी मां ने ही हमें पाला है. पापा साउदी में काम करने की वजह से 22 साल बाद घर वापस आए थे. मैं अपने स्कूल में करिकुलर एक्टिविटीज में काफी अच्छा था. मेरी जर्नी बहुत ही सिंपल रही है.
टेलीविजन में अपनी विविधरंगी किरदारों से दर्शकों को एंटरटेन करने वाले फहमान खान इन दिनों अपनी आगामी सीरियल 'धर्मपत्नी' को लेकर चर्चा में हैं. फहमान ने आजतक शो, शादी और अपनी स्ट्रगल के अलावा ईमली को-स्टार सुंबुल और अपने मरहूम भाई फराज खान के बारे में भी बातचीत की है.
धर्मपत्नी शादी के बारे में है. आपका मैरिज इंस्टीट्यूशन पर कितना यकीन है? इसके जवाब में फहमान कहते हैं, मुझे लगता है कि शादी आजकल मजाक बन चुका है. मैं उस दुनिया का इंसान नहीं हूं कि शादी को हल्के में लूं. मैं अगर किसी से प्यार करता हूं और शादी तक बात जाती है, तो इस बंधन को पूरी शिद्दत से निभाउंगा. तबतक मैं शादी नहीं करूंगा, जब तक न लगे कि मैं इस रिश्ते को निभा सकता हूं. इसलिए अभी तक कुंवारा हूं, क्योंकि मैं इसके लिए तैयार नहीं हूं. जिससे भी शादी करूंगा, अपना सौ प्रतिशत निभाऊंगा. मैं मानता हूं कि रिलेशनशिप में कोई एक्सपेक्टेशन नहीं होना चाहिए, बस टूट कर प्यार करो. शादियों में एक्सपेक्टेशन शुरू हुआ, तो प्यार गायब होता जाता है.
अपनी जर्नी पर फहमान कहते हैं, बचपन में मुझे एंगर इश्यूज बहुत थे. मेरी मां ने ही हमें पाला है. पापा साउदी में काम करने की वजह से 22 साल बाद घर वापस आए थे. मैं अपने स्कूल में करिकुलर एक्टिविटीज में काफी अच्छा था. मेरी जर्नी बहुत ही सिंपल रही है. कभी लगा था कि मैं क्रिकेट खेलकर अपना करियर बनाऊंगा, स्टेट टीम में सिलेक्ट भी हुआ था. फिर इंजर्ड हो गया और यह सपना अधूरा रह गया था.
इसके बाद एक साल मैंने ड्रामा स्कूल में बैकस्टेज काम किया है. जहां झाड़ू मारता था, स्टेज पर भी सोया हूं. इस बीच मेरा भाई फराज खान मुंबई में सेटल हो चुका था. मैं 17 साल की उम्र में मुंबई पहुंचा था. यकीन मानों, 6 महीने रहा और फिर डरकर भाग गया. दरअसल मुझे यहां कोई जानता नहीं था. और अपने शहर में मैं गली का हीरो था. तो लगता था कि मुंबई आकर मैं यहां का भी हीरो बन जाऊंगा. कोई अटेंशन नहीं देता था यहां. वापस जाकर मैंने बैंगलोर में ग्रैजुएशन खत्म की. इस बीच गारमेंट स्टोर में मैंने काम किया. फिर पिरामिड कंपनी में काम करने लगा. भाई के साथ रियल स्टेट का बिजनेस भी किया. गारमेंट स्टोर भी डाला था, जो बंद हो गया. इन्हीं फेल्योर से मैंने खुद को तैयार किया था.
जब दोबारा मुंबई आए फहमान दोबारा मुंबई आने के बाद मैं टेलीविजन शोज में असिस्टेंट डायरेक्टर भी बना. बिना पैसे के सेट पर काम करता था. यकीन मानों, मैं 18 लोगों के साथ रूम शेयर करता था. सांताक्रूझ में एक अपार्टमेंट में हम 18 लोग रहते थे. हालत ऐसी थी कि चीनी का डिब्बा भी लॉक कर रखना पड़ता था. यह मेरी जर्नी का स्ट्रगल भरा लेकिन खूबसूरत पल रहा है. आज देखो, मैं अपने दो बेडरूम वाले घर में अकेले रहता हूं. अगर 18 लोगों के साथ नहीं सोता, तो शायद इस घर की वैल्यू नहीं कर पाता.
टेलीविजन में अपना मार्क बनाने के बाद बॉलीवुड की प्लानिंग पर फहमान कहते हैं, मैं ऑडिशन देता रहता हूं. मैं मानता हूं कि अगर आप किसी चीज के लिए तैयार हैं, तो उस ओर आपको अपना कदम बढ़ाना चाहिए. हालांकि, चीजें कब मेरे फेवर में आएंगी, इसका पता नहीं है. मेरी बात करूं, मैं ऐसे बैकग्राउंड से आता हूं, जिसके पास कुछ नहीं है. मेरे पास ज्यादा चॉइसेस नहीं होती हैं. आप जहां चॉइसेस की चुंगल में फंसते हो. वहां से आप गलत होना शुरू हो जाते हो.

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