DNA ANALYSIS: महंगे सप्लीमेंट और एनर्जी ड्रिंक नहीं, संकल्प से बनते हैं Olympics Medalist!
Zee News
जो खिलाड़ी रिंग और मैदान में लट्ठ गाड़ देते हैं और जाड़ा पाड़ देते हैं, उन्हें तैयार करने वाले गुरु भी मानते हैं कि जो ताकत मां के हाथ से बने खाने में होती है वो हाई फाई डायटरी सप्लीमेंट्स में नहीं होती. गैस पर नहीं चूल्हें पर सिकी रोटियां और खेतों से तोड़कर लाई गई सब्जियां, इन खिलाड़ियों को जमीन से जोड़कर रखती है. और ये खिलाड़ी मुकाबले में सामने वाले खिलाड़ी को जमीन से उठने नहीं देते.
नई दिल्ली: इस बार ओलंपिक खेलों में भारत के जो 7 मेडल आए हैं, उनमें से कम से 6 मेडल जीतने वाले खिलाड़ी भारत के गांवो और गरीब परिवारों से आते हैं. इन खिलाड़ियों का बचपन सूखी रोटी और चटनी खाते हुए बीता है. फिर भी इनके शरीर में इतनी शक्ति थी कि ये दुनिया के उन खिलाड़ियों को हरा सके जिनके पास सारी सुख सुविधाएं रही हैं. हमारे देश के ये खिलाड़ी महंगा स्पार्कलिंग वाटर पीकर नहीं बल्कि खून, पसीना आंसुओं के घूट पीकर चैंपियन बने हैं. इन आंसुओं की कीमत क्या होती है ये महिला हॉकी टीम की कैप्टन रानी रामपाल (Rani Rampal) ने ज़ी न्यूज़ के जरिए पूरे देश को बताया था. मेडल लाने वाले ये सारे खिलाड़ी छोटे शहरों के गरीब परिवारों के बच्चे हैं. ये खिलाड़ी घर का खाना खाते हुए बड़े हुए हैं, जिनके परिवारों के पास इतना पैसा भी नहीं होता था कि वो अपने बच्चों के लिए महंगे एनर्जी ड्रिंक खरीद पाएं या उन्हें सप्लीमेंट लाकर दे पाएं. फिर भी इन खिलाड़ियों ने कई मौकों पर अपनी संकल्प की शक्ति से ना सिर्फ सप्लीमेंट की जरूरत को हराया, बल्कि दूसरे खेलों के जिन खिलाड़ियों को भारत में बहु स्टारडम हासिल है उन्हें भी बताया कि असली संघर्ष और शक्ति क्या होती है.More Related News