DNA ANALYSIS: बंगाल की विलुप्त होती 250 साल पुरानी जनजाति की कहानी, पढ़ें ये ग्राउंड रिपोर्ट
Zee News
West Bengal: पश्चिम बंगाल और असम को जोड़ने वाले राजमार्ग से 21 किमी अंदर बसे गांव की तरफ न कोई सड़क जाती है और न ही यहां यातायात की कोई व्यवस्था है. टोटोपाड़ा जाने के रास्ते में 4 बरसाती नदियां भी आती हैं, जिस पर कोई पुल नहीं है.
नई दिल्ली: प्रसिद्ध समाज सुधारक और विचारक पंडित दीन दयाल उपाध्याय ने कहा था कि 'जब तक अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का उदय नहीं होगा, तब तक भारत का उदय संभव नहीं है'. यानी देश के विकास को तभी सफल माना जाएगा जब समाज के आखिरी तबके तक उसका लाभ पहुंचेगा, लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि हमारे देश में क्या ऐसा होता है? इसके लिए हम आपको एक ऐसे सीमावर्ती गांव में लेकर चलेंगे. जहां के लोगों को आप समाज की आखिरी पंक्ति कह सकते हैं. टोटोपाड़ा नाम के इस गांव में विश्व की लुप्तप्राय आदिवासी जनजाति रहती है और इस जनजाति का नाम है टोटो. इस जनजाति के अब 1600 लोग ही अब वहां बचे हैं. 250 साल पहले से भी ज्यादा समय से ये जनजाति इस गांव में बसी हुई है, लेकिन आज तक यहां पहुंचने के लिए उन्हें एक अच्छी सड़क तक नहीं मिली है.More Related News