Crude Oil: महंगाई बढ़ाने में इस चीज की थी बड़ी भूमिका, अब गुड न्यूज!
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कच्चे तेल के भाव में नरमी के लिए एक बड़ा कारण मांग में कमी को भी बताया जा रहा है. दरअसल, चीन समेत दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना संक्रमण के मामलों में भारी इजाफा देखने को मिल रहा है. बहरहाल, क्रूड की कीमतों में कमी से पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने की उम्मीद जताई जा रही है.
दुनिया में मंदी की मार का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस बीच राहत भरी खबर ये है कि कच्चे तेल की (Crude Oil) कीमतों में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है. इस साल की शुरुआत से ही क्रूड ऑयल के दाम में तेजी का जो सिलसिला शुरू हुआ था, वह यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद और भी बढ़ गया. इस बीच इसकी कीमत 2008 के बाद सबसे उच्च स्तर 139 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गई. हालांकि, इसके बाद इसमें गिरावट शुरू हो गई और फिलहाल यह 103 डॉलर प्रति बैरल पर आ चुका है. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि क्रूड 100 डॉलर के नीचे आ सकता है और इसके चलते देश में पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) सस्ता हो सकता है.
बाइडेन के प्रस्ताव के बाद गिरे दाम कच्चे तेल के दाम में बीते कुछ दिनों में 10 फीसदी तक कम हो चुका है. लेकिन अभी भी यह 100 डॉलर के पार बना हुआ है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Jo Biden) के तीन महीने के लिए गैस टैक्स कटौती के प्रस्ताव के बाद से भी क्रूड ऑयल के दाम में गिरावट देखने को मिली है. अमेरिकी संसद से इस प्रस्ताव पर मुहर लगने पर क्रूड ऑयल के दाम में 10 से 15 फीसदी तक की कमी आने की संभावना है, यानी इसकी कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल के नीचे आ सकती है.
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का असर देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर भी पड़ता है. इसका मतलब है कि कच्चे तेल की कीमतें कम होने पर देश को लोगों को पेट्रोल-डीजल के मोर्चे पर राहत मिलेगी.
2022 में कच्चे तेल में जोरदार उछाल साल 2022 की शुरुआत के साथ ही कच्चे तेल की कीमतों मे तेज उछाल आता गया और इसने अपने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले. बेंट क्रूड का भाव 2014 के बाद पहली बार इस साल 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया था और 139 डॉलर प्रति बैरल के उच्च स्तर तक पहुंच गया था. तेल की कीमतों में तेजी में रूस-यूक्रेन युद्ध का भी अहम रोल रहा है. भले ही दोनों देशों के बीच अभी भी जंग जारी है और दुनिया पर मंदी की मार का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन इस बीच बीते कुछ दिनों से जारी कच्चे तेल की कीमतों में नरमी वह राहत देने वाली है.
क्रूड का पेट्रोल-डीजल पर असर विशेषज्ञों की मानें तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अगर कच्चे तेल की कीमतों में एक डॉलर का इजाफा होता है, तो देश में पेट्रोल-डीजल का दाम 50 से 60 पैसे बढ़ जाता है. ऐसे में उत्पादन कम होने और सप्लाई में रुकावट के चलते इसके दाम में और भी तेजी देखने को मिलती है, जैसा कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद से देखने को मिला है. अगर कच्चे तेल का दाम 150 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच जाता है तो फिर भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में 15 से 22 रुपये तक की वृद्धि देखने को मिल सकती है. इसी तरह कच्चे तेल के दाम गिरने से देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतें भी इसी क्रम में कम होती जाती हैं.
ऐसे तय होती है पेट्रोल-डीजल की कीमत तेल वितरण कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं. साल 2014 तक कीमतों के निर्धारण का काम सरकार के कंधों पर था और हर 15 दिनों में इनकी कीमतें बदलती थीं. लेकिन जून 2014 के बाद इस प्रक्रिया में बदलाव किया गया और ये काम तेल कंपनियों को सौंप दिया गया था. इसके बाद से ही देश में पेट्रोल-डीजल की कीमतों का निर्धारण रोजाना के हिसाब से तेल कंपनियों के द्वारा किया जाता है.
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