
Chhath 2022: बचपन में ट्रक से छठ पूजा के लिए घाट जाती थी ये एक्ट्रेस, मांग के खाया करती थीं प्रसाद
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आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान नीतू अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताती हैं, पटना में मैं जॉइंट फैमिली के साथ रही हूं. आप यकीन मानें मेरे घर में कुल मिलाकर 32 लोग हुआ करते थे. दीवाली खत्म होते ही हम भाई-बहनों में इस फेस्टिवल को लेकर एक्साइटमेंट बढ़ जाता था.
बिहारियों के छठ महापर्व की आज से शुरूआत हो गई है. नहाए खाए से छठव्रती अब अपने इस पावन पर्व की तैयारियों में लग जाएंगे. बता दें, बिहारियों के बीच इस पर्व का बड़ा मान है. इंटरनैशनल लेवल पर अपनी एक्टिंग का लोहा मनवा चुकीं एक्ट्रेस नीतू चंद्रा अपने भाई नितिन चंद्रा संग मिलकर पिछले सात साल से छठ पर्व के खास मौके पर म्यूजिक वीडियो बनाती आ रही हैं. इस साल भी नीतू ने सिंगर सुनिधी चौहान संग कोलैब्रेट कर एक बहुत ही इमोशनल गाना तैयार किया है. नीतू के अनुसार बिहारियों के लिए छठ एक इमोशन है, जिसे बयां कर पाना मुश्किल है.
नीतू ने शेयर किए एक्सपीरियंस
आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत के दौरान नीतू अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए बताती हैं, पटना में मैं जॉइंट फैमिली के साथ रही हूं. आप यकीन मानें मेरे घर में कुल मिलाकर 32 लोग हुआ करते थे. दादी, चाची, मां, बुआ सभी मिलकर छठ पूजा किया करती थीं. दीवाली खत्म होते ही हम भाई-बहनों में इस फेस्टिवल को लेकर एक्साइटमेंट बढ़ जाता था. 32 लोगों का कार या छोटी गाड़ी से घाट जाना संभव नहीं था, तो हमारे यहां ट्रक मंगवाया जाता था, जिसमें हम सभी बच्चें, महिलाएं, अंकल बैठकर घाट जाते थे. इसमें भी मैं जिद किया करती थी, कि मुझे ट्रक के ऊपर वाले साइड पर भाईयों के साथ बैठना है. तो पापा और अंकल की मदद से मैं उनके साथ बैठती थी.
नीतू आगे कहती हैं, चार दिन के इस महापर्व में हमें दो दिन नदी किनारे घाट जाना होता था. शाम के अर्घ के दौरान हम सभी यूथ ज्यादातर ट्रेडिशनल ड्रेस पर होते थे, कह लें साड़ी, सूट पहनकर पूरी इंडियन अवतार में रेडी होते थें. वहीं अल सुबह सभी ने जींस और जैकेट पहनना होता था. इस भोर(अल सुबह) को ही हमारे बिहार में विंटर की शुरूआत माना जाता था. यह भी एक अलग तरह का मजा होता था.
फील करती हैं होम सिक
पिछले 17 सालों से मुंबई में रह रहीं नीतू बताती हैं, जब काम की वजह से पटना शहर छोड़ मुंबई आई, तो यहां भी फेस्टिवल के दौरान होम सिक हो जाती थी. हालांकि मेरी पूरी कोशिश यही रही कि मैं और भाई छठ के वक्त पटना में ही रहें. जब मैं इंटरनैशनल फिल्म की शूटिंग के सिलसिले से लंदन में थी, तो वो पहली बार ऐसा मौका था, जब वीडियो कॉल के जरिए छठ पूजा में शामिल हुई थी. बहुत रोई थी, उस दिन. पापा के डेथ के बाद मां की तबीयत भी ठीक नहीं रहती है, तो हम बच्चों ने जिद कर उनसे छठ करने को मना किया है. लेकिन मैं और मेरे भाई पहले अर्ध के दिन पटना कैसे भी पहुंच जाते हैं और घाट पर अपनी पहचान छिपाकर ठेकुआ मांग लेते हैं. यह करते वक्त काफी मजा भी आता है. हमने स्कार्फ या मास्क से अपना चेहरा छिपा लिया है और आम लोगों के बीच घाट में जाकर प्रसाद मांग रहे हैं. श्रद्धा के आगे आप इस तरह का पागलपन कर ही बैठते हैं.

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