Birthday special: नज़्म 'सरफरोशी की तमन्ना,' कैसे बना, जानिए बिस्मिल और अशफाक उल्ला खां के मुकालमे
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Pandit Ramprasad Bismil Birth Anniversary: आज मुजाहिदे आज़ादी और शहीद राम प्रसाद बिस्मिल की 124वीं यौमे पैदाइश पर हम आपको बताएंगे हैं इस बहादुर शहीद की एक ऐसी कहानी जो शायद पहसे से आपको पता ना हो..
लखनऊ: हमारे मुल्क भारत को अंग्रेज़ों से आज़ादी हासिल करने के लिए एक लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी, इस रास्ते में हज़ारों-लाखों लोगों ने अपनी कुर्बानियां दीं, इसके लिए दशकों तक जद्दोजहद करनी पड़ी, तब जाकर कहीं भारत की आज़ादी कि निमत मिली. आज़ादी जैसे अज़ीम मकसद को हासिल करने के लिए लाखों लोग हंसी खुशी फांसी के फंदे ले लटक गए. इनमें से एक बहादुर लाल थे राम प्रसाद बिस्मिल. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पैदा हुए बिस्मिल काकोरी कांड के मंसूबा बनाने वालों में से एक थे. 1918 के मैनपुरी कांड में भी उनका अहम किर्दार रहा था. आज उनके 124वीं यौमे पैदाइश पर हम आपको बताते हैं इस वीर शहीद की एक ऐसी कहानी जो शायद पहसे से आपको पता ना हो.. मश्हूर शेर 'सरफरोशी की तमन्ना' कैसे वजूद में आया राम प्रसाद बिस्मिल की पैदाइस 11 जून 1897 को उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में हुई थी. वे आर्यसमाज से मुतासिर थे. बिस्मिल एक इंकलाबी होने के साथ-साथ एक लेखक, अदीब और साहित्यकार भी थे. वे बिस्मिल ही थे, जिन्होंने 'सरफरोशी की तमन्ना...' से हर मुहिब्बे वतन को जज़्बाती कर दिया था. आइए जानते हैं यह शेर उन्होंने कैसे और कब बनाया...More Related News