Bhilai Murder Case: जमीन में 6 फीट नीचे लाश दफन कर लगा दिए थे पौधे, लास्ट कॉल ने खोला हाई प्रोफाइल मर्डर का राज
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खौफनाक साजिश से लबरेज़ जुर्म की ये ऐसी दास्तान है, जो इस तरह से उलझी हुई थी कि उस वक्त एक पूरे सूबे की पुलिस और सरकार को इस केस ने हिलाकर रख दिया था. सिपाही से लेकर राज्य के पुलिस महानिदेशक तक, पूरा पुलिस महकमा इस वारदात को लेकर हलकान था.
छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले का मशहूर शहर भिलाई. मध्य भारत का ये शहर एक बड़ा शिक्षा केन्द्र भी है. मगर 7 साल पहले शिवनाथ नदी के किनारे बसा हुआ ये शहर अचानक चर्चाओं में आ गया था. वो दिन था 10 नवंबर 2015. उस दिन भिलाई शहर का पुलिस-प्रशासन हैरान परेशान था. वजह थी एक शख्स का अचानक गायब हो जाना. जिसका नाम था अभिषेक मिश्रा.
अगवा होने की ख़बर उसके परिवार का रुतबा और साख भी सूबे में कम नहीं है. शिक्षा क्षेत्र से सियासत के गलियारों तक उसके परिवार की पहुंच है. ऐसे परिवार का बेटा अचानक गायब हो गया था. पुलिस की परेशानी में उस वक्त इजाफा हो गया, जब ये पता चला कि वो शख्स गायब नहीं हुआ बल्कि उसे अगवा किया गया था. खौफनाक साजिश से लबरेज़ जुर्म की ये ऐसी दास्तान है, जो इस तरह से उलझी हुई थी कि उस वक्त एक पूरे सूबे की पुलिस और सरकार को इस केस ने हिलाकर रख दिया था. सिपाही से लेकर राज्य के पुलिस महानिदेशक तक, पूरा पुलिस महकमा इस वारदात को लेकर हलकान था.
कौन थे अभिषेक मिश्रा? दरअसल, अभिषेक मिश्रा भिलाई के मिश्रा परिवार के वारिस और गंगाजली एजुकेशन सोसायटी के चेयरपर्सन और शंकराचार्य ग्रुप के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे थे. उनके भिलाई और रायपुर में चार इंजीनियरिंग कॉलेज हैं, जहां मैनेजमेंट, फार्मेसी और बीसीए/एमसीए की पढ़ाई होती है. पूरा मिश्रा परिवार अभिषेक पर जान छिड़कता था. उसी साल रायपुर में हुए चैम्पियंस टेनिस लीग में शामिल होने वाली रायपुर रेंजर्स टीम के मालिक भी वही थे. यही नहीं अभिषेक ने नक्सल समस्या पर आधारित 'आलाप' नाम की एक फिल्म भी प्रोड्यूस की थी. अगवा होने से पहले दिल्ली से लौटा था अभिषेक 10 नवंबर 2015 की शाम अभिषेक मिश्रा को अगवा कर लिए जाने की खबर आई थी. अपहरण की खबर पूरे शहर ही नहीं बल्कि राज्य में आग की तरह फैल गई थी. पुलिस के आला अफसर और तमाम पुलिस वाले आईपी मिश्रा के घर पहुंच चुके थे. अधिकारियों ने मिश्रा जी से अभिषेक के बारे में जानकारी हासिल की. उन्होंने बताया कि अभिषेक 9 नवंबर को ही दिल्ली से लौटकर आया था.
अभिषेक को तलाश रहे थे कई लोग वारदात के दिन यानी 10 नवंबर की सुबह से ही अभिषेक अपने रुटीन काम निपटा रहा था. पर अचानक शाम को वो बिना बताए कहीं गायब हो गया. उसका मोबाइल फोन भी बंद आ रहा था. उसकी कार का भी कुछ अता-पता नहीं था. परेशान हाल मिश्रा परिवार के घर में जैसे मातम सा छा गया था. हर कोई दुखी था. घरवाले बस इसी बात की दुआ कर रहे थे कि उसके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए. शाम से ही अभिषेक के पिता और उनके कर्मचारी उसे तलाश कर रहे थे. पुलिस भी अभिषेक की तलाश में जुट गई थी. पुलिस को अंदाजा नहीं था कि ये तलाश लंबी होने वाली है.
नहीं मिल रहा था अभिषेक का कोई सुराग भिलाई पुलिस ने मामले की नजाकत को समझ लिया था. लिहाजा कई काबिल अफसरों की सरपरस्ती में अलग-अलग टीम बनाकर अभिषेक को तलाश किया जा रहा था. इस दौरान सर्विलांस टीम भी एक्टिव हो चुकी थी. मगर कोई ऐसा सुराग नहीं मिल पा रहा था कि जिससे अभिषेक का पता चल सके. पुलिस अभिषेक के करीबियों और दोस्तों से भी पूछताछ करने लगी थी. पुलिस ने उन लोगों की एक लिस्ट बना ली थी, जिनके साथ अभिषेक का उठना बैठना था. पुलिस ये भी पता लगाने की कोशिश कर रही थी कि आखिर 9 तारीख को दिल्ली से लौटने के बाद अभिषेक किन किन लोगों से मिला था? गायब हो जाने की शाम यानी 10 तारीख की शाम तक उसने किन किन लोगों से मुलाकात की थी?
सीडीआर निकालने की तैयारी मामले की तफ्तीश के दौरान पुलिस कोई भी सुराग छोड़ना नहीं चाहती थी. लेकिन पुलिस के हाथ इस मामले का सिरा नहीं आ रहा था. छानबीन जारी थी. इसी बीच पुलिस ने अभिषेक के मोबाइल पर ध्यान केंद्रित किया. पुलिस ने उसके नंबर की सीडीआर निकलवाने का फैसला कर लिया. पुलिस की सर्विलांस टीम ने इस काम शुरू कर दिया था. पुलिस को पूरा भरोसा था कि उसके मोबाइल की डिटेल में ही उसके गुम हो जाने का राज छुपा हो सकता है.
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