
Ae watan mere watan: वो लड़की जिसने 8 साल की उम्र में कहा था 'साइमन गो बैक', सारा निभा रहीं वो किरदार
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स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहे अधिकतर बड़े नामों को, थोड़ा कम या थोड़ा ज्यादा, अपने देश की पब्लिक पहचान ही लेती है. मगर पूरी प्रायिकता उर्फ प्रोबेबिलिटी है कि शायद आपको तुरंत नहीं याद आएगा कि 'ऐ वतन मेरे वतन' में सारा का किरदार, किस रियल लाइफ शख्सियत से मेल खाता है. आइए बताते हैं...
बॉलीवुड एक्ट्रेस सारा अली खान की फिल्म 'ऐ वतन मेरे वतन' का ट्रेलर हाल ही में सामने आया और सोशल मीडिया पर इसकी काफी चर्चा हो रही है. लोगों को सारा का काम तो अच्छा लग ही रहा है, लेकिन फिल्म की कहानी काफी दिलचस्प लग रही है.
ट्रेलर की शुरुआत एक टेंशन भरे मोमेंट से होती है. कहीं पर एक कमरे में. कहीं एक हॉल में लोग झुंड में मौजूद हैं. सबकी नजरें एक ही तरफ हैं. फिर फ्रेम में एक घड़ी दिखती है, जिसमें 8 बजकर 25 मिनट हो चुके हैं. टिकटिक करती घड़ी के बैकग्राउंड म्यूजिक के साथ टेंशन बढ़ती है, सीन में एक हाथ रेडियो की फ्रीक्वेंसी सेट करता है. फ्रेम में फिर घड़ी दिखती है और अब 8 बजकर 30 मिनट हो चुके हैं. ऐसा लगता है इस रेडियो से अभी कोई आवाज आने ही वाली है, और तभी सीन कट होकर एक लड़की पर पहुंच जाता है.
सारा अली खान अपने किरदार में दिखती हैं. भीड़ में बैठी, अपना पूरा ध्यान लगाए महात्मा गांधी का भाषण सुनते हुए. एक जगह अंग्रेजी सिपाहियों की लाठियों के बीच तिरंगा थामे हुए और एक जगह नारा लगाते हुए- करो या मरो. ये क्लियर हो जाता है कि 'ऐ वतन मेरे वतन' उस दौर की कहानी है जब भारत अपनी आजादी के लिए संघर्ष कर रहा था. मगर फिर आप सोचते हैं कि इस कहानी में ये जो लड़की का किरदार है, ये किसका है?
स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा रहे अधिकतर बड़े नामों को, थोड़ा कम या थोड़ा ज्यादा, अपने देश की पब्लिक पहचान ही लेती है. मगर पूरी प्रायिकता उर्फ प्रोबेबिलिटी है कि शायद आपको तुरंत नहीं याद आएगा कि सारा का किरदार, किस रियल लाइफ शख्सियत से मेल खाता है?
आजादी का आंदोलन और एक सीक्रेट रेडियो स्टेशन तारीख थी, 14 अगस्त 1942. रेडियो के वेवलेंथ 42.34 मीटर पर लोगों ने पहली बार 'कांग्रेस रेडियो' सुना और इस स्टेशन की लोकेशन बताई गई 'भारत में कहीं से.' ये आवाज थी 22 साल की एक लड़की, उषा मेहता की. जिनका किरदार 'ऐ वतन मेरे वतन' में सारा अली खान निभा रही हैं.
उस दिन से दिन में दो बार ये रेडियो प्रोग्राम आता, एक बार हिंदी में और एक बार इंग्लिश में. मगर बाद में ये दिन में सिर्फ एक बार ही आने लगा, शाम में 7 बजकर 30 मिनट से 8 बजकर 30 मिनट के बीच. इसमें देशभक्ति के गीत ब्रॉडकास्ट होते, वो खबरें पढ़ी जातीं, जिन्हें अंग्रेजी सरकार के ऑफिसर सेंसर करके छपने से रोक दिया करते. और भारत की आजादी का संग्राम लीड कर रहे नेताओं के ओजस्वी भाषण भी ब्रॉडकास्ट किए जाते. और इस रेडियो चैनल के जरिए उषा वो लम्हा ही रही थीं, जिसे बाद में उन्होंने अपने क्रांतिकारी जीवन का 'सबसे बेहतरीन मोमेंट' कहा था.

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