3 साल से जर्मनी के पालक गृह में पल रही जैन बच्ची को मिली पर्युषण पर्व मनाने की अनुमति
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बच्ची इस समय बर्लिन में एक फोस्टर केयर सेंटर में रह रही है. बच्ची के माता-पिता पर क्रूरता का आरोप लगाकर उसे कस्टडी में भेजा गया था. तब से परिजन लगातार परेशान हैं. दावा है कि क्रूरता के आरोप भी गलत पाए गए हैं. उसके बावजूद बच्ची को नहीं सौंपा जा रहा है.
भारतीय बच्ची अरिहा शाह को पहली बार जैन धर्म के सबसे महत्वपूर्ण पर्व पर्युषण मनाने की अनुमति मिल गई है. अरिहा शाह तीन साल से जर्मन पालक गृह में बंद है. अरिहा को पर्युषण त्योहार मनाने में मदद करने के लिए जैन स्कूल 'लुक एन लर्न' में छोटे बच्चों को जैन धर्म की शिक्षा देने वाली और जर्मन भाषा में बी2 लेवल की प्रोफिशिएंसी रखने वाली 22 वर्षीय ध्रुवी वैद मुंबई से बर्लिन (जर्मनी) गई हैं. तीन साल में यह पहली बार था जब अरिहा अपने माता-पिता के अलावा किसी भारतीय से मिली.
जैन समुदाय की ओर से पूज्य गुरुदेव नम्रमुनि महाराज साहब की शिष्या परम विनम्रमुनि महाराज साहब पिछले एक साल से नई दिल्ली स्थित जर्मन दूतावास और बर्लिन स्थित जर्मन विदेश मंत्रालय से लगातार संपर्क में हैं. वे इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि अरिहा को भारत वापस कैसे लाया जाए और यह भी सुनिश्चित किया जाए कि जर्मनी में रहते हुए उसे अपने धर्म और गुजराती भाषा के बारे में सीखने का अवसर मिले. एक साल के अथक प्रयासों के बाद जर्मन विदेश मंत्रालय जर्मन बाल सेवा को मनाने में सफल रहा, जिससे अरिहा को पवित्र जैन त्योहार पर्युषण मनाने की अनुमति मिल गई.
बाल सेवा ने केवल दो दिन एक-एक घंटे की यात्रा की अनुमति दी. अरिहा को जैन धर्म की मूलभूत प्रार्थनाएं सिखाई गईं, जिनमें नमस्कार मंत्र, 'तस्स मिच्छामि दुक्कड़म' और 'जय जिनेंद्र' शामिल हैं. उसे मांगलिक और उवसग्गहरम का जाप सुनने का मौका मिला. अरिहा को गिरनारजी तीर्थ और पालीताना तीर्थ की कहानियां समझाई गईं और भगवान महावीर और भगवान पार्श्वनाथ के चित्रों के माध्यम से उसे देवताओं से परिचित कराया गया. अरिहा को करुणा के बारे में भी सिखाया गया.
क्या है पूरा मामला? अहमदाबाद के निवासी भावेश शाह और धारा वर्क वीजा पर जर्मनी के बर्लिन गए थे. वहां इस गुजराती परिवार की दुनिया उस समय बिखर गई, जब अरिहा के प्राइवेट पार्ट पर चोट लग गई और अस्पताल ले जाने पर मां-बाप पर ही यौन उत्पीड़न का आरोप लगा. अरिहा को प्रशासन ने फोस्टर केयर होम भेज दिया. सितंबर 2021 के बाद से ही यह परिवार अरिहा की कस्टडी के लिए कानूनी जंग लड़ रहा है. डॉक्टर को अरिहा के डाइपर पर खून मिला था.
बच्ची इस समय बर्लिन में एक फोस्टर केयर सेंटर में रह रही है. बच्ची के माता-पिता पर क्रूरता का आरोप लगाकर उसे कस्टडी में भेजा गया था. तब से परिजन लगातार परेशान हैं. दावा है कि क्रूरता के आरोप भी गलत पाए गए हैं. उसके बावजूद बच्ची को नहीं सौंपा जा रहा है.
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