हिजबुल्लाह, हमास, हूती...मिडिल ईस्ट में इनके अलावा कौन-कौन से आतंकी गुट, क्या सबका टारगेट सिर्फ Israel?
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लेबनान में सीरियल पेजर ब्लास्ट में हिजबुल्लाह से जुड़े कई लोगों की मौत हो गई और हजारों घायल हैं. इस हमले का आरोप चरमपंथी गुट ने इजरायल पर लगाया. वैसे मिडिल ईस्ट में यह अकेला आतंकी समूह नहीं, बल्कि कई एक्सट्रीमिस्ट संगठन फैले हुए हैं. ये अलग-अलग मकसद के साथ काम करते हैं, लेकिन इजरायल सबका कॉमन दुश्मन रहा.
लेबनान में एक के बाद एक सैकड़ों पेजर फटने से दहशत फैल गई. ब्लास्ट में लेबनानी मिलिशिया हिजबुल्लाह के बहुत से लड़ाके घायल हुए, जबकि 10 से ज्यादा मौतें हो चुकीं. अब हिजबुल्लाह इस विस्फोट का आरोप इजरायल पर मढ़ते हुए उससे बदला लेने की बात कर रहा है. यह अकेला गुट नहीं, पूरा का पूरा मिडिल ईस्ट ही चरमपंथ के लिए उपजाऊ जमीन बना हुआ है. यहां कई संगठन हैं, जिनके मकसद और जिनके फंडर भी अलग हैं.
लेबनान क्यों पड़ा इजरायल के पीछे
पिछले साल अक्टूबर में हमास ने इजरायल पर घातक हमला किया, जिसमें हजारों लोग मारे गए और सैकड़ों को बंधक बना लिया गया. हमास फिलिस्तीन का आतंकी गुट है. इसके बाद इजरायल का हमलावर होना समझ आता है लेकिन फिर लेबनान का भी जिक्र होने लगा. वो भी बीच में पड़कर इजरायल को धमकाने लगा. लेकिन दो लोगों की लड़ाई में तीसरा कैसे आया? इसका जवाब इतिहास में है.
साल 1948 में जब इजरायल अलग यहूदी देश बना तो फिलिस्तीन से हजारों लोग भागकर लेबनान पहुंच गए. इससे उस देश में अस्थिरता पैदा हुई. स्थानीय लोग नाराज हुए कि इजरायल के चलते उनके यहां भीड़ बढ़ी. दूसरी तरफ शरण लिए हुए लोग पहले से ही यहूदियों पर उखड़े हुए थे. उन्होंने लेबनान में रहते हुए ही चरमपंथी समूह बना लिए, जिनका काम इजरायल को तबाह करना था.
हिजबुल्लाह ऐसा ही एक गुट है, जिसे अमेरिका समेत कई देशों ने आतंकी घोषित कर रखा है. इसकी नींव ईरान ने इजरायल को पछाड़ने के लिए अस्सी के दशक में रखी थी. यह शिया संगठन है, जो लेबनान में बेहद ताकतवर है. इसे दुनिया के सबसे ताकतवर गैर-सरकारी सैन्य ताकत की तरह भी देखा जाता रहा, जिसका काम इजरायल और उसके सहयोगियों को परेशान करना है. यह शिया विचारधारा को फैलाने के मकसद के साथ सुन्नियों की नाक में भी दम किए रखता है. चूंकि इसकी फंडिंग ईरान करता है तो कह सकते हैं कि इसका काम मिडिल ईस्ट में इस देश को सबसे शक्तिशाली बनाए रखना भी रहा.
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