हरियाणा का गांव, जहां आज भी दलितों का हुक्का-पानी बंद करने का सुनाया जाता है फरमान
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शिकायत के मुताबिक, इन 150 दलित परिवारों को ना तो खेतों में जाने दिया जा रहा है, ना ही गांव के किसी अन्य मोहल्ले में उन्हें जाने की इजाजत है और ना ही दुकानदार उन्हें सामान दे रहे हैं.
जींदः हरियाणा के गांवों में आज भी गांव के आला जाति और दबंग लोग गरीबों और दलितों को सजा देने के लिए उनका हुक्का-पानी बंद कर सामाजिक बहिष्कार करने का फरमान सुना देते हैं. फिर इासके बाद किसी की हिम्मत नहीं होती जो उनके फैसले का चुनौती दे सके. हरियाणा में जींद जिले के उचाना विधानसभा क्षेत्र के छातर गांव में एक दलित युवक की पिटाई करने वाले सवर्ण जाति के युवक की शिकायत पुलिस से करने पर 150 दलित परिवारों का गत 15 दिन से सामाजिक बहिष्कार करने का मामला सामने आया है. इल्जाम है कि दंबगों ने पंचायत कर बिना शर्त शिकायत वापस लिए जाने तक बहिष्कार जारी रखने का फैसला किया है. शिकायत के मुताबिक, इन 150 दलित परिवारों को ना तो खेतों में जाने दिया जा रहा है, ना ही गांव के किसी अन्य मोहल्ले में उन्हें जाने की इजाजत है और ना ही दुकानदार उन्हें सामान दे रहे हैं.
गांव में पुलिस दे रही है पहरा जींद के पुलिस अधीक्षक (एसपी) वसीम अकरम ने बताया कि मामला पुलिस के संज्ञान में है और उचाना के एसडीएम व डीएसपी को जांच के लिए कई बार गांव भेजा जा चुका है. उन्होंने बताया कि गांव में पुलिस की तैनाती की गई है और पुलिस मामले पर नजर बनाए हुए है. दलित परिवारों का सामाजिक बहिष्कार खत्म कराने के लिए पुलिस द्वारा कार्रवाई किए जाने के सवाल पर हालांकि एसपी ने कोई माकूल जवाब नहीं दिया. सामाजिक कार्यकर्ता एवं खापड़ गांव निवासी दिनेश ने मुख्यमंत्री से मामले की लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है.