सोने का खजाना, जवाहरात और चांदी के बर्तन... जब 46 साल पहले पुरी जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार खुला था तब क्या चीजें मिली थीं?
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Lord Jagannath Temple Ratna Bhandar: हर तीन वर्ष में रत्न भंडार को खोलकर उसके अंदर रखे आभूषणों और अन्य जवाहरातों की जांच करने का नियम है. ओडिशा सरकार की अनुमति के बाद ही इसे खोला जा सकता है. लेकिन गत 46 वर्षों से इस प्रक्रिया का पालन नहीं हो सका था. इसके लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी.
ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ मंदिर का प्रतिष्ठित रत्न भंडार रविवार को 46 साल बाद फिर से खोला गया. इससे पहले 1978 में रत्न भंडार के दरवाजे खोले गए थे. इस काम के लिए राज्य सरकार द्वारा 11 सदस्यों की एक टीम का गठन किया गया था. ओडिशा हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस बिश्वनाथ रथ की अध्यक्षता वाली इस टीम में, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के चीफ एडमिनिस्ट्रेटर अरबिंद पाढ़ी, एएसआई अधीक्षक डीबी गडनायक और पुरी के राजा 'गजपति महाराजा' भी शामिल थे. टीम ने मंदिर के अंदर 14 जुलाई की दोपहर 1:28 बजे प्रवेश किया.
पुरी मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी के मुताबिक बाहरी रत्न भंडार का सामान लकड़ी के 6 संदूकों में रखकर सील कर दिया गया है, लेकिन रत्न भंडार के अंदरूनी हिस्से का सामान अभी संदूक में शिफ्ट नहीं गया है. यह काम बहुडा यात्रा और सुना वेशा के बाद किया जाएगा. रत्न भंडार में मौजूद रत्नों, आभूषणों और अन्य वेशकीमती चीजों की गिनती और मरम्मत की जाएगी. इनकी संख्या, गुणवत्ता, वजन, फोटो संबंधित डिजिटल कैटलाग भी तैयार किया जाएगा, जिसे भविष्य में एक रेफरेंस डाक्युमेंट के तौर पर उपयोग किया जाएगा. हालांकि, कल खोले गए रत्न भंडार में क्या क्या चीजें मिलीं, इसे लेकर 11 सदस्यीय टीम की ओर से कोई खुलासा नहीं किया गया है.
प्रभु जगन्नाथ की पूजा-अर्चना के बाद खोला गया रत्न भंडार
भगवान जगन्नाथ की निधि होने के कारण पुरी मंदिर के रत्न भंडार को लेकर भक्तों में भी गहरी आस्था का भाव है. इसलिए 11 सदस्यीय टीम की उपस्थिति में रत्न भंडार के दरवाजे खोले जाने से पहले विधि-विधानपूर्वक प्रभु जगन्नाथ की पूजा की गई और पूरी प्रक्रिया के सफल होने के लिए उनका आशीर्वाद लिया गया. यह रत्न भंडार भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए गए बहुमूल्य सोने और हीरे के आभूषणों का घर है. ओडिशा मैग्जीन (राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित पत्रिका) के अनुसार, राजा अनंगभीम देव ने भगवान जगन्नाथ के आभूषण तैयार करने के लिए बहुत बड़ी मात्रा में सोना दान किया था.
रत्न भंडार में रखे गए हैं सोने के आभूषण, रत्न, जवाहरात
रत्न भंडार के दो कक्ष हैं- भीतर भंडार (आंतरिक खजाना) और बाहरी भंडार (बाहरी खजाना). ओडिशा मैग्जीन में कहा गया है कि बाहरी खजाने में भगवान जगन्नाथ के सोने से बने मुकुट, सोने के तीन हार (हरिदाकंठी माली) हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन 120 तोला है. रिपोर्ट में भगवान जगन्नाथ और बलभद्र के सोना से बने श्रीभुजा और श्रीपयार का भी उल्लेख किया गया है. इसके मुताबिक आंतरिक खजाने में करीब 74 सोने के आभूषण हैं, जिनमें से प्रत्येक का वजन 100 तोला से अधिक है. सोने, हीरे, मूंगा और मोतियों से बनी प्लेटें हैं. इसके अलावा 140 से ज्यादा चांदी के आभूषण भी खजाने में रखे हुए हैं.
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