
सैम बहादुर में दिखेंगे सारे रियल फौजी, विक्की बोले- शूट खत्म होते ही मैं बन जाता था भीगी बिल्ली
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विक्की कौशल और मेघना गुलजार ने बताया कि सैम मानेक्शॉ पर बनी फिल्म सैम बहादुर हर मायनों में कितनी खास है. फिल्म की शूटिंग असली फौजी जवानों के साथ की गई है. इनके साथ शूटिंग करते हुए विक्की को काफी डर लगा. एक्टर ने बताया कि कट होते ही भीगी बिल्ली बन जाता था. उनसे स्पेशयली दोस्ती की थी. मुझे बुरा लगता था कि उन्हें ऑर्डर दे रहा हूं.
साहित्य आजतक में सैम मानेक्शॉ यानी विक्की कौशल ने समां बांधा. उन्हें देख दिल्लीवासियों के चेहरे खिल गए. ऑडियन्स ने खूब चियर किया. फिल्म 1 दिसंबर को रिलीज होने वाली है. सैम बहादुर फिल्म 1971 के जंग की कहानी पर आधारित है. जहां से बांग्लादेश की शुरुआत हुई. फिल्म को लेकर विक्की कौशल, मेघना गुलजार ने कई बातें शेयर की.
विक्की ने बताया कि ये ऑपरचुनिटी उनके लिए कितनी महत्वपूर्ण थी. सैम मानेक्शॉ जिन्होंने पां जंग लड़ी. वो एक ग्रेट सोल्जर, ग्रेट फादर, ग्रेट हसबैंड, कितने बेहतरीन इंसान थे. जब मेघना ने मुझे ये रोल दिया, मैं बहुत खुद को लकी समझता हूं. इसी के साथ मेघना ने बताया कि प्रोड्यूसर रॉनी स्क्रूवाला ने ये आइडिया उन्हें दिया था. उनके लिए इसे डायरेक्टर करना बड़ी बात है. फिल्म की टीम के साथ 1971 की जंग लड़ चुके ब्रिगेडियर मुखर्जी भी शामिल रहे. उन्होंने सैम मानेक्शॉ के जीवन पर प्रकाश डाला कि वो कितने बड़ी शख्सियत थे. उन पर फिल्म बनना एक गर्व की बात है.
कैसे विक्की बने सैम?
विक्की ने बताया कि कैसे उन्होंने सैम मानेक्शॉ के कैरेक्टर में खुद को ढाला. वो पहले फील्ड मार्शल थे, 1971 के, मुझे बस ये पता था. मेरे मम्मी पापा पंजाब के हैं, उन्होंने जब सुना तो वो बोले ऐसी शख्सियत अब नहीं बना करती. मैंने उनके बारे में जितना रिसर्च किया तो मुझे हमेशा उनके बाद के ही इंटरव्यू मिले. जो उनके रिटायरमेंट के बाद के थे. तो ये सारा क्रेडिट सिर्फ मेघना को जाता है. इन्होंने 3 से 4 महीने की रिसर्च की पूरी, मुझे बताया, तो मैंने सिर्फ मेघना को सुना. उनकी चाल-ढाल सब अपनाया. उनका एक स्वैग था, जो कैरी करना आसान नहीं है.
सैम का लोहे सा जिगरा
इसी के साथ विक्की ने मंच पर सैम की तरह वॉक करके और डायलॉग बोलकर दिखाया. ये देख फैंस और ऑडियन्स खुशी से झूम उठे. खूब तालियां बजी. सैम मानेक्शॉ ने पेट में नौ गोलियां लगी थीं, फिर भी वो डॉक्टर को जोक सुनाने की बात कर रहे थे. सर्जन ने मना कर दिया था कि वो ऑपरेट नहीं कर सकते थे. ऐसे इंसान पर फिल्म बनाना जिसे 20 साल की उम्र में नौ गोलियां लगीं, और 60 साल तक की उम्र के फील्ड मार्शल, की कहानी दिखाना जरूरी है. ढाई घंटे में उनके जीवन की कहानी दिखाना बहुत मुश्किल था. वहीं मेघना ने कहा कि कोशिश की है, उनकी लाइफ में इंस्पिरेशन ही इंस्पिरेशन है. कहानियों की भरमार है. उन्होंने हर कदम पर लोगों को प्रेरणा ही दी है. बाकी देखना होगा कि दर्शकों को कितना पसंद आएगी.

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