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सुचित्रा सेन: वो 'महानायिका' जिसने 36 साल खुद को गायब रखा, मौत पर भी नहीं दिखा चेहरा
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इंडियन सिनेमा की लेजेंड एक्ट्रेसेज की लिस्ट सुचित्रा सेन के बिना कभी पूरी ही नहीं हो सकती. फिल्मों में उनकी खूबसूरती भारतीय दर्शकों ने हमेशा देखी ही, मगर पर्दे के बाहर सुचित्रा से मुलाकात का कोई किस्सा, शायद ही किसी के पास मिले. सुचित्रा पर्दे से दूर हुईं तो यूं कि उनके निधन तक लोग उन्हें दोबारा नहीं देख सके.
भारत सरकार से सिनेमा में योगदान के लिए मिलने वाला 'दादा साहब फाल्के अवार्ड' बहुत ऊंचा दर्जा रखता है. देश के राष्ट्रपति के हाथों मिलने वाला इस अवार्ड के लिए जिसे चुना जाए वो अपने आप में भारतीय सिनेमा का एक आइकॉन बन जाता है. 'महानायक' कहे जाने वाले, हिंदी फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन को ये अवार्ड 2019 में मिला था.
उनसे 14 साल पहले, 2005 में इंडियन सिनेमा की सबसे चर्चित एक्ट्रेसेज में से एक को भी ये अवार्ड ऑफर हुआ था. बताया जाता है कि इस एक्ट्रेस की एक बंगाली फिल्म को हिंदी में अमिताभ बच्चन और रेखा की यादगार जोड़ी के साथ बनाया जाना था. लेकिन ऑरिजिनल फिल्म देखने के बाद बच्चन साहब ने पूरे सम्मान के साथ हाथ जोड़कर कहा था- 'ये मुझसे नहीं होगा.'
उस लेजेंड एक्ट्रेस को जब अवार्ड ऑफर हुआ तो खास नोट भेजा गया कि आपको खुद अवार्ड लेने आना होगा. रिपोर्ट्स बताती हैं कि तब सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे प्रिय रंजन दासमुंशी बहुत शिद्दत से चाहते थे कि ये एक्ट्रेस अपना अवार्ड लेने खुद आएं. मगर उस एक्ट्रेस ने भारत के सबसे प्रतिष्ठित सिनेमा सम्मान को छोड़कर, जनता की नजरों से दूर, अपने एकांत में रहना चुना. ये थीं 'महानायिका' सुचित्रा सेन. 6 अप्रैल 1931 को पैदा हुईं सुचित्रा को 'किवंदंती नायिका' के नाम से भी जाना जाता है.
सबसे आइकॉनिक एक्ट्रेसेज में से एक सुचित्रा जब जनता की नजरों के सामने आखिरी बार आईं तो 47 साल की थीं. उनके चेहरे पर बढ़ती उम्र के कुछ निशान जरूर मौजूद थे. लेकिन उनकी पहचान वही खूबसूरती थी जिसने 25 साल लंबे करियर में दर्शकों को पलकें झपकाए बिना, देखते रहने पर मजबूर किए रखा था. 2014 में जब सुचित्रा ने संसार को अलविदा कहा, तो वो 82 साल की थीं. मगर लोगों को आज भी वो ज्यादा से ज्यादा 47 साल की ही याद हैं, क्योंकि उसके बाद कभी लोग उन्हें सामने से देख ही न सके. उनकी अंतिम यात्रा में भी नहीं! आइए बताते हैं 'किंवदंती' सुचित्रा सेन के बारे में...
सुचित्रा- एक मिथक की शुरुआत
कलकत्ता के बड़े रईस आदिनाथ सेन अपने बेटे दिबानाथ की शादी के लिए लड़की खोज रहे थे. इसी सिलसिले में उन्हें 1947 के बंटवारे में, पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के पाबना जिले से पश्चिम बंगाल आया एक परिवार मिला. 16 साल की रमा दासगुप्ता में आदिनाथ ने ऐसा क्या देखा जो उसे बहू बनाने का फैसला ले लिया, ये कोई नहीं जानता. लेकिन किस्से बताते हैं कि रमा के आने के बाद, आदिनाथ के बेटे दिबानाथ की जिंदगी बदल गई, जिसे पार्टियां शराब और जुए की लत लगने लगी थी.