सिलेंडर है, लेकिन भराने के पैसे नहीं, बहनों ने की मजदूरी तो खरीदी किताबें... IAS बने पवन के संघर्ष की कहानी
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मेहनत और लगन हो तो मंजिल दूर नहीं होती. बुलंदशहर के पवन कुमार ने यही कर दिखाया. कई सुविधाओं की कमी के बावजूद पवन कुमार ने यूपीएससी क्लीयर कर जिले के साथ-साथ अपने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है.
बुलंदशहर के पवन कुमार यूपीएससी परीक्षा में 239वीं रैंक लाकर आईएएस बने हैं, लेकिन उनके घर की आर्थिक स्थिति ऐसी है कि उज्जवला योजना के तहत मिले गैस सिलेंडर को भराने तक के पैसे नहीं है. जब पिता और बहनों ने मजदूरी की तब जाकर कोचिंग और किताबों का खर्च निकल पाया और फिर 3200 रुपये का सेकंड हैंड फोन खरीदा ताकि तैयारी करने में मदद मिल सके.
जिले के रघुनाथपुर गांव के रहने वाले मुकेश कुमार के बेटे पवन कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा में 239वीं रैंक पाई है. बेटे की कामयाबी पर परिवार में जश्न का माहौल है. माता-पिता का कहना है कि उन्हें अपने बेटे पर गर्व है. जिस घर में पवन का परिवार रहता है, उसमें बिजली कनेक्शन तो है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में बिजली आपूर्ति की कमी रहती है. घर में कोई अन्य सुविधा भी नहीं है. छत भी तिरपाल और पॉलीथीन की है.
सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाले पवन की मां और बहन जंगल से लकड़ी इकट्ठी कर चूल्हे पर खाना बनाती हैं. दरअसल परिवार को उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर तो मिल गया, लेकिन बाद में उसे भराने में एक हजार रुपये ही नहीं जुटा पाए, जिसकी वजह से चूल्हे पर ही खाना बनाया जाता है.
पवन के पिता ने बताया कि उसे तैयारी करते समय एंड्राइड मोबाइल फोन की जरूरत थी तो घर में सबने मजदूरी की और पैसे इकट्ठे किए. तब जाकर 3,200 रुपये का सेकंड हैंड मोबाइल फोन खरीद पाए.
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