UGC ड्राफ्ट के खिलाफ नहीं थम रहा विवाद, जंतर-मंतर पर DMK के प्रोटेस्ट में शामिल हुए राहुल-अखिलेश
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यूजीसी ने 6 जनवरी को यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में वाइस चांसलर, टीचर्स और अकैडमिक स्टाफ भर्ती को लेकर ड्रॉफ्ट रेगुलेशंस जारी किए थे. इस ड्राफ्ट के अनुसार, राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों Vice-Chancellors की नियुक्ति में चांसलर को अधिक शक्तियां दी जाएंगी. यह कदम राज्यों के अधिकार और संघवाद पर सवाल खड़े कर रहा है. इसका एक प्रमुख कारण है कि चांसलर अक्सर राज्यपाल होते हैं. राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं. इसी वजह से विपक्षी पार्टियां इस ड्राफ्ट के खिलाफ विरोध कर रही हैं.
UGC ड्राफ्ट पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के मसौदा नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव और डीएमके के विभिन्न सांसदों दिल्ली के जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन में अखिलेश यादव ने डीएमके की छात्र शाखा का आश्वाशन दिया है कि वह इस लड़ाई में साथ खड़े रहेंगे.
डीएमके की छात्र शाखा राष्ट्रीय राजधानी में जंतर-मंतर पर सुबह 10 बजे यूजीसी मसौदा नियमों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रही है. जिसमें इंडिया ब्लॉक में शामिल राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं. तमिलनाडु विधानसभा ने भी 9 जनवरी को मसौदा नियमों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें इन नियमों को वापस लेने का आग्रह किया गया है.
UGC के किस ड्राफ्ट पर हो रहा है विवाद?
यूजीसी ने 6 जनवरी को यूनिवर्सिटी-कॉलेजों में वाइस चांसलर, टीचर्स और अकैडमिक स्टाफ भर्ती को लेकर ड्रॉफ्ट रेगुलेशंस जारी किए थे. इस ड्राफ्ट के अनुसार, राज्य विश्वविद्यालयों में कुलपतियों Vice-Chancellors की नियुक्ति में चांसलर को अधिक शक्तियां दी जाएंगी. यह कदम राज्यों के अधिकार और संघवाद पर सवाल खड़े कर रहा है. इसका एक प्रमुख कारण है कि चांसलर अक्सर राज्यपाल होते हैं. राज्यपाल केंद्र सरकार के प्रतिनिधि होते हैं. इसी वजह से विपक्षी पार्टियां इस ड्राफ्ट के खिलाफ विरोध कर रही हैं.
यूजीसी विनियम 2025 की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
यूजीसी के नए ड्राफ्ट के अनुसार, अब उम्मीदवार NET/SET पास करने के बाद उन विषयों में पढ़ा सकते हैं, जो उनकी पिछली डिग्री से अलग हैं. हालांकि, पीएचडी में किए गए स्पेशलाइजेशन को प्राथमिकता दी जाएगी. इसके अलावा शैक्षणिक पब्लिकेशन और डिग्री कोर्स में भारतीय भाषाओं के इस्तेमाल को प्रोत्साहित किया जाएगा.
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