सात हजार रुपये कर्ज लेकर मुंबई आए, पैसे हुए खत्म फिर ऐसे किया भोला के 'अश्वत्थामा' ने स्ट्रगल
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तनु वेड्स मनु जैसी फिल्म से लाइमलाइट में आए एक्टर दीपक डोबरियाल अब कॉमेडी से इतर दूसरी जॉनर की फिल्मों को एक्सप्लोर कर रहे हैं. हालांकि दीपक के लिए यहां तक पहुंचने की राहें आसान नहीं थी. अपनी दिलचस्प स्ट्रगल की स्टोरी वो हमसे शेयर करते हैं.
दीपक डोबरियाल हाल ही में अजय देवगन की फिल्म भोला में नजर आए थे. दीपक इस फिल्म में अपनी इमेज के विपरित अस्वाथामा विलेन के किरदार में दिखे हैं. सिल्वर स्क्रीन पर कॉमिक रोल्स के लिए फेमस दीपक को इस नए अवतार में देखकर फैंस भी हैरान हो गए थे. दीपक हमसे अपने इस किरदार की की तैयारी और दिल्ली के थिएटर से बॉलीवुड की जर्नी पर दिल खोलकर बातचीत करते हैं.
लोगों ने मुझे बुरा आदमी समझना शुरू कर दिया था भोला में अपने इस विचित्र किरदार की तैयारी पर दीपक कहते हैं, जब मैं अस्वाथामा के किरदार के लिए फाइनल हुआ, तो उस वक्त मेरे जेहन में यही आया कि क्या कोई अच्छा आदमी बुरा रोल कर सकता है, और अगर करता है? तो कैसे? मेरी सिनेमा में जो पहचान है, वो एक मासूम से किरदार की रही है, जो लोगों को हंसाता है. मैंने इस रोल को सच्चाई से करने के लिए सबसे पहले अपने मिजाज में तब्दीली लाई, मैंने लोगों को थैंक्यू कहना बंद कर दिया था. कोई हैलो हाय करता था, तो मैं रिप्लाई न करूं. मैं देखना चाहता कि इस तरह की हरकतों को अप्लाई करने से मैं किस हद तक अपने आपको बदल सकता हूं. बदला भी और कुछ जान पहचान वालों को मैं थोड़ा ऐरोगेंट भी लगा. कह लें कि इस किरदार के लिए मैं बुरा आदमी बन गया. मेरे साथ दिक्कत यही होती है कि मेरे किरदारों का अक्सर थॉट प्रॉसेस मेरे साथ रह जाता है. मुझे इस किरदार से निकलने में भी वक्त लगा. कुछ तो एक्सरसाइज किया, फिर खुद को कहीं और बिजी करने लगा. लोग कहते हैं कि फिल्म खत्म, तो किरदार भी खत्म लेकिन मेरे लिए हमेशा से उस किरदार से निकलना मुश्किल रहा है.
छोटा एक्टर होकर मना कैसे कर सकता है? अपनी कॉमिक इमेज को तोड़ने के लिए दीपक को एक लंबा समय लगा, शायद अब भी दीपक इससे जूझ रहे हैं. यही वजह है कि एक वक्त ऐसा भी आया था कि दीपक ने सिरे से सभी कॉमिक रोल्स को मना करना शुरू कर दिया था. दीपक बताते हैं, तनु वेड्स मनु को मैं अपनी जिंदगी का एक टर्निंग पॉइंट मानता हूं, यहां से लोगों ने नोटिस करना शुरू कर दिया था. बस उसी इमेज के बाद मैं एक हास्य कलाकार के रूप में लोगों के बीच उभरा. कोशिश भी की, कि अलग-अलग रोल्स में वैरायटी वाली कॉमिडी करूं, ताकि मैं बतौर एक्टर संतुष्ट हो सकूं. फिर टाइम ऐसा था, कि मेकर्स की ओर से बस कॉमेडी वाले रोल्स ही आने लगे. लोग मान चुके हैं कि शायद मैं रोमांटिक रोल्स या एक्शन पैक्ड फिल्में नहीं कर सकता, मैं तो कॉमेडी जॉनर में फिट हूं. नतीजतन मैंने टाइपकास्ट की डर से मना करता गया. तकरीबन सैकड़ों की तादाद में फिल्में रिजेक्ट की थीं. मैंने यहां तक अनाउंस करवा दिया कि मैं कॉमेडी छोड़ रहा हूं. कईयों से गालियां भी सुनीं कि तुम होते कौन हो हमें मना करने वाले? एक छोटा एक्टर मना कैसे कर सकता? हिम्मत कैसे की.
उल्टा हम इसे मौका दे रहे हैं? वगैरह.. वगैरह.. फिर इस दौरान मुझे अरबाजन खान भाई ने एक नसीहत दी थी, उन्होंने कहा कि प्यार से मना किया करो, तो तुम्हारी जगह बनी रहेगी. फिर क्या मैंने उसी वक्त अपने और मेकर्स के बीच मैनेजर रख दिया था, अब मेरी जगह वो सबको इनकार कर देता है.
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