मेरठ: कोरोना काल में जेल से कैदी को मिली पैरोल, फिर भी घर जाने से किया इनकार
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कोरोना संक्रमण का असर अब जेलों तक पहुंच गया है. मेरठ जेल में बंद एक कैदी पैरोल मिलने के बाद भी बाहर नहीं आना चाहता है. कैदी का कहना है कि कोरोना काल में जेल में ज्यादा सुविधा है, इसलिए वह पैरोल पर बाहर नहीं जाना चाहता है.
कोरोना काल में जेलों में बंद कैदियों की संख्या को कम करने के लिए जेल में बंद कुछ बंदियों को 2 महीने की पैरोल पर छोड़ा जा रहा है. कुछ कैदी पैरोल मिलते ही अपने घर लौटे लेकिन मेरठ के जिला कारागार में बंद एक कैदी पैरोल पर जेल से बाहर नहीं जाना चाहता. जेल के अधिकारियों का कहना है कि बंदी कह रहा है कि उसको जेल में ज्यादा सुरक्षा महसूस होती है, इसलिए वह पैरोल पर नहीं जाना चाहता. जेल से पैरोल के बावजूद कैदी ने जेल से निकलने से मना कर दिया है. मेरठ जिला कारागार के वरिष्ठ जेल अधीक्षक डॉक्टर बीडी पाण्डेय ने बताया कि उनके यहां एक बंदी ने पैरोल पर रिहा होने से इंकार किया है. उन्होंने बताया कि बंदी जेल में ज्यादा सुरक्षित और स्वस्थ महसूस कर रहा है. बंदी का भी यही कहना है कि जेल में रहकर वो अपनी सजा पूरी करना चाहता है. इस बंदी ने जिला कारागार प्रशासन को लिखकर दिया है कि वो पैरोल पर रिहाई नहीं चाहता है.गौतम अडानी पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका के निवेशकों के पैसे से भारत में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी और ये रिश्वत भी उन प्रोजेक्ट्स के लिए दी गई, जिससे 20 वर्षों में अडानी ग्रुप की एक कम्पनी को 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर्स यानी भारतीय रुपयों में लगभग 16 हज़ार 881 करोड़ रुपये का मुनाफा होने का अनुमान है. आरोप है कि इस मुनाफे के लिए साल 2021 से 2022 के बीच आंध्र प्रदेश, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ की सरकारों को लगभग 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई.
गौतम अडानी एक बार फिर चर्चा में हैं क्योंकि उन पर सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करोड़ों रुपये की रिश्वत देने का आरोप है. इस मामले पर NSUI ने भी प्रदर्शन किया है. इस मुद्दे ने राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में खलबली मचा दी है, जिसमें भ्रष्टाचार और व्यापारिक नैतिकता के सवाल शामिल हैं.