
मुन्ना त्रिपाठी की योग्यता पहचानने में गलती कर गए कालीन भैया, बेटे के भौकाल भरोसे ही बची है जान!
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सीजन 2 में कालीन भैया ने मुन्ना को कहा था, 'हमीं से जन्मे हो, हमें न बताओ इतने योग्य हो'. लेकिन 'मिर्जापुर 3' देखने के बाद आप नोटिस करेंगे कि मुन्ना के लिए गए दिमागी फैसलों ने जो असर दिखाया है, आज उसी की वजह से कालीन भैया जिंदा भी हैं. कैसे? आइए बताते हैं...
हिंदी ओटीटी ऑडियंस के फेवरेट शोज में से एक 'मिर्जापुर' का सीजन 3 आ चुका है. अमेजन प्राइम पर पिछले शुक्रवार रिलीज हुए इस शो को एक हफ्ता पूरा हो चुका है. इस पहले हफ्ते में, पिछले दो सीजन्स की वजह से 'मिर्जापुर 3' को ऑडियंस तो जरूर जमकर मिली, लेकिन क्रिटिक्स से लेकर जनता तक के रिएक्शन बताते हैं कि इस बार लोगों को शो का भौकाल उतना दमदार नहीं लगा.
स्टोरी की स्लो स्पीड से लेकर, एक्शन की कमी तक लोग 'मिर्जापुर 3' के फीका लगने के पीछे अलग-अलग कारण गिना रहे हैं. मगर एक वजह ऐसी है, जिससे सभी सहमत हैं- मुन्ना भैया की कमी. 'मिर्जापुर' की कहानी में एक्टर दिव्येंदु शर्मा का किरदार मुन्ना त्रिपाठी उर्फ मुन्ना भैया का किरदार अंत में मर जाता है. ऑडियंस के लिए ये इस शो के सबसे शॉकिंग मोमेंट्स में से एक था.
मुन्ना का एक फेमस डायलॉग है- 'बहुत तकलीफ होती है जब आप योग्य हों और लोग आपकी योग्यता न पहचानें.' सीजन 3 में भले मुन्ना नहीं है, मगर उसके पिता कालीन भैया जिस तरह मौत के मुंह से लौट कर आए हैं, उसमें बहुत ज्यादा योगदान मुन्ना की योग्यता का ही है. आइए बताते हैं कैसे...
शरद के साथ समझौता 'मिर्जापुर 2' में गुड्डू का, जौनपुर के बाहुबली रति शंकर शुक्ला की हत्या करना शो की कहानी में बड़े खेल लेकर आया. रति शंकर के बेटे शरद शुक्ला ने विरासत में सिर्फ जौनपुर की गद्दी ही नहीं, मिर्जापुर और कालीन भैया की दुश्मनी भी पाई थी.
मगर इस दुश्मनी पर युद्ध विराम लगाया था कालीन भैया के बेटे मुन्ना ने. शरद को मारने गए मुन्ना नही सालों पुरानी दुश्मनी को भुलाकर एक नई साझेदारी और दोस्ती की नींव रखी थी. जिस शरद से मुना ने दुश्मनी खत्म की, उसी ने गुड्डू की गोलियों से जख्मी हुए कालीन भैया को बचाया और उन्हें दूसरा जीवन दिया.
माधुरी के साथ सॉलिड रिश्ता माधुरी यादव के साथ मुन्ना के रिश्ते तबसे प्रगाढ़ थे जब वो एक मुख्यमंत्री की बेटी थीं, खुद मुख्यमंत्री नहीं. माधुरी जब कालीन भैया को साइड करके खुद मुख्यमंत्री बनीं, तब भी मुन्ना उनके साथ थे. वो भी अपने पिता के खिलाफ जाकर. जब मुख्यमंत्री बन चुकी माधुरी को, कालीन भैया नीचा दिखा रहे थे और अपने परिवार से अलग करके देख रहे थे, तब भी मुन्ना ने अपने पिता का ही विरोध किया और पत्नी का नहीं.

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