महाराष्ट्र का किला फतह करना आसान नहीं... कांग्रेस को हरियाणा के नतीजों से सीखने होंगे 5 सबक
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कांग्रेस ने हरियाणा में अपने वोट शेयर में उल्लेखनीय सुधार किया है. लेकिन भाजपा के वोट शेयर में भी 2019 के मुकाबले 3% की बढ़ोतरी देखी गई है. महाराष्ट्र में भी भाजपा अपने वोट बेस को बनाए रखने में कामयाब रही है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में इसमें मामूली 1.7% की गिरावट देखी गई है. इसलिए वोट शेयर में बढ़ोतरी के बावजूद कांग्रेस को राज्य में भाजपा के वोट बरकरार रहने से सावधान रहना होगा.
कांग्रेस और उनके रणनीतिकारों के लिए हरियाणा में जीत पक्की थी. वहीं कांग्रेस के नेता और इसके रणनीतिकार महाराष्ट्र को एक चुनौती के रूप में देख रहे थे, क्योंकि आगामी विधानसभा में उन्हें न केवल भाजपा से मुकाबला करना है, बल्कि अपने सहयोगियों उद्धव ठाकरे और शरद पवार को भी साधना है. लेकिन हरियाणा विधानसभा चुनावों के चौंकाने वाले नतीजों से कांग्रेस को यह एहसास जरूर हुआ होगा कि उसे अभी भी लंबा रास्ता तय करना है और अगर वो महाराष्ट्र में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो लोकसभा में उसका प्रदर्शन सिर्फ़ एक संयोग माना जाएगा. उद्धव ठाकरे की पार्टी ने पहले ही कांग्रेस के खिलाफ अपने तीखे तेवर दिखाते हुए कहा है कि यह कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं का अहंकार है जिसकी वजह से पार्टी हरियाणा में चुनाव हारी है. कांग्रेस को हरियाणा में लगभग जीते गए चुनाव से सबक सीखने की जरूरत है.
1. वोट शेयर पर्याप्त नहीं
देखा जाए तो कांग्रेस ने हरियाणा में अपने वोट शेयर में उल्लेखनीय सुधार किया है. 2019 के मुकाबले 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट शेयर में 18% की बढ़ोतरी हुई है. विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को 2019 के मुकाबले 12% की बढ़ोतरी मिली है, लेकिन भाजपा के वोट शेयर में भी 2019 के मुकाबले 3% की बढ़ोतरी देखी गई है. इससे पता चलता है कि कांग्रेस अभी भी भाजपा के बेस वोटर को अपनी ओर खींचने में सक्षम नहीं है. महाराष्ट्र में भी भाजपा अपने वोट बेस को बनाए रखने में कामयाब रही है, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में इसमें मामूली 1.7% की गिरावट देखी गई है. महाराष्ट्र में कांग्रेस और भाजपा एक-दूसरे के खिलाफ अधिकतम सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही हैं, इसलिए वोट शेयर में बढ़ोतरी के बावजूद कांग्रेस को राज्य में भाजपा के वोट बरकरार रहने से सावधान रहना होगा. कांग्रेस को भाजपा के गैर हिंदुत्व वोट को अपनी ओर खींचने पर भी काम करना होगा.
2. गठबंधन सहयोगियों को साधना
लोकसभा चुनाव में जीत के बाद कांग्रेस का आक्रामक रुख उसके सहयोगी दल शिवसेना को रास नहीं आ रहा है. सीटों के बंटवारे के लिए एमवीए की बैठकों में कांग्रेस अपनी आंतरिक टीमों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों से लैस होकर कई सीटों पर दावा कर रही है, जिन पर शिवसेना यूबीटी की भी नजर है. कई कांग्रेस नेताओं ने सार्वजनिक और निजी तौर पर कहा है कि अगर सीटों का बंटवारा उनकी मांगों के मुताबिक नहीं हुआ तो वे दोस्ताना मुकाबला करेंगे. हरियाणा में आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन न करने से कांग्रेस को कम से कम 6 से 7 सीटों का नुकसान हुआ. आम आदमी पार्टी हरियाणा में 3 सीटों की मांग कर रही थी. इससे सबक लेते हुए कांग्रेस को महाराष्ट्र में एमवीए (भारत गठबंधन) के भीतर लड़ाई की अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना होगा.
3. लोकसभा की सफलता विधानसभा में जीत में तब्दील नहीं होगी
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