
महाभारत शो के डायलॉग लिखने से पहले 8 राइटर्स की होती थी मीटिंग, ऐसे बना था शो
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आज आदिपुरुष को भले ही अपने डायलॉग्स की वजह से निगेटिविटी का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उस दौर में महाभारत के दौरान मेकर्स शो के एक-एक डायलॉग्स का खासा ध्यान रखा करते थे. बीआर चोपड़ा आठ राइटर्स की मीटिंग बैठाया करते थे.
आज आदिपुरुष को भले ही अपने डायलॉग्स की वजह से निगेटिविटी का सामना करना पड़ा हो, लेकिन उस दौर में महाभारत के दौरान मेकर्स शो के एक-एक डायलॉग्स का खासा ध्यान रखा करते थे. बीआर चोपड़ा आठ राइटर्स की मीटिंग बैठाया करते थे.
गजेंद्र चौहान ने बताया हमारे वक्त में महाभारत की कहानी किसी एक राइटर ने नहीं लिखी. न ही डायरेक्टर या प्रोड्यूसर अकेले कोई डिसीजन ले सकता था. यह सब मिलकर साथ में चर्चा कर किसी एक पॉइंट पर आते थे. महाभारत में 8 राइटर्स थे. जो स्क्रिप्ट पर डिबेट किया करते थे. देखिए, कहानी पंडित नरेंद्र शर्मा जी की थी.
मासूम राही संवाद लिखा करते थे. स्टोरी में सतीश भटनागर, ये सभी दिनभर बैठकर चर्चा किए करते थे. मैं एक दिन चोपड़ा साहब में ऑफिस में पहुंचा था, जहां ये सभी राइटर्स चर्चा कर रहे थे. एक सीन पर बातचीत चल रही थी. सीन में जुए में सबकुछ हारने के बाद पांडवों की मां पर कोई रिएक्शन नहीं आया था. चोपड़ा साहब ने राही जी से पूछा कि मां पर हमने कोई रिएक्शन क्यों नहीं दिया है. वो तो अपने बेटों को हार गई, बहू हार गई. राही साहब का बहुत खूबसूरत जवाब था, उन्होंने कहा कि मियां मैं शाम को जब कुंती बनकर लिखने बैठूंगा, तब ही इसका जवाब दे पाऊंगा. आप ये सोचें, वो किरदार में कितना घुस जाया करते थे. उन्हें कुंती के डायलॉग लिखने के लिए कुंती बनना पड़ता था. इस कदर का डेडिकेशन हुआ करता था. बकायदा वो रातभर कुंती के डायलॉग लिखते रहें. आप देखें, कुंती का वो डायलॉग और सीन कितना शानदार हुआ है
आजतक डॉट इन से खास बातचीत के दौरान गजेंद्र कहते हैं उस दौरान रोज कुछ न कुछ इंट्रेस्टिंग होता था. भले स्क्रीन पर पांडव और कौरव एक दूसरे के जानी दुश्मन हों लेकिन सेट पर हम सब एक साथ खाना ही खाया करते थे. सेट पर सबको एक साथ ही खाना परोसा जाता था, वहीं खाना बनाया भी करते थे. एक दोस्ताना माहौल हुआ करता था.
गजेंद्र आगे बताते हैं, इस शो में कोई कमी न रह जाए, इसका पूरा ख्याल प्रोड्यूसर और डायरेक्टर रखा करते थे. एक वक्त ऐसा हुआ था कि युद्ध में लड़ने के दौरान जो बख्तर बनवाए थे, वो बहुत ही हार्ड बन गया था. जिसे पहनकर हमने प्रैक्टिस की, तो पता चला वो बख्तर हमें बाजुओं और छाती पर काट रहे थे. उस वक्त 6 हजार बख्तर बनकर तैयार हो गए थे. जब चोपड़ा साहब ने देखा कि उनके आर्टिस्ट्स को परेशानी हो रही है, तो उन्होंने उन सभी बख्तर को हटवा दिया और दोबारा से बनवाया था.
एक मोजड़ी की वजह से रोक दी थी शूटिंग इसके अलावा एक और किस्सा याद आता है. मैंने अपने ड्रेस मैन से दो तीन बार कहा कि मेरी मोजड़ी(जूते) फट गई है. जिसकी वजह से मुझे चलने में दिक्कत होती है. वो मेरी बातों को अनसुना कर जाता था. एक दिन मैंने खुद डायरेक्टर रवि चोपड़ा को जाकर कहा कि मैं चार दिन से इस फटी मोजड़ी को लेकर परेशान हूं. तो उन्होंने फौरन वो ड्रेसमैन को बुलवाया और सवाल किया कि मोजड़ी कब तक आएगी, उसने जवाब में कहा कि कल तक आ जाएगी. यकीन मानें उस वक्त सेट पर चालीस मेन आर्टिस्ट्स और 200 जूनियर आर्टिस्ट थे, उन सभी को पैकअप बोल दिया. एक मोजड़ी के लिए पूरी शूटिंग बंद कर दी. डायरेक्टर ने यह कहा कि जब मेरे राजा का वॉक अच्छा नहीं होगा और वो मोजड़ी ही संभालता रहेगा, तो एक्टिंग क्या करेगा. राजा का वॉक राजा की तरह ही लगना चाहिए. इससे कोई समझौता नहीं. आजतक मैंने अपनी एक्टिंग करियर में ऐसा कोई डायरेक्टर व प्रॉड्यूसर नहीं देखा, जिसने एक मोजड़ी जैसी छोटी चीज के लिए पूरी शूटिंग रूकवा दी हो.

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