
फिल्मों में भी पॉलिटिक्स का तनाव है क्या, पता करो मुल्क में चुनाव हैं क्या...
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फिल्मों पर राजनीति होना कोई नई बात नहीं है. लेकिन पिछले कुछ सालों में राजनीति का इतने स्पष्ट तरीके से फिल्मों में उतर आना एक सरप्राइज करने वाली चीज है. इससे पहले फिल्मों में रियल लाइफ पॉलिटिक्स का जिक्र किरदारों की कहानियों के जरिए, फिल्म के प्लॉट में बहुत महीन बुना हुआ होता था.
सुपरस्टार शाहरुख खान की कमबैक फिल्म कही गई 'पठान' बहुत बड़ी हिट साबित हुई. फिल्म की सक्सेस का अंदाजा रिलीज से पहले ही बहुत लोग लगा चुके थे. फिल्म हिट ही नहीं हुई, बल्कि ऑल टाइम ब्लॉकबस्टर बनी. इसका नेट इंडिया कलेक्शन (543 करोड़) बॉलीवुड के लिए सबसे बड़ा कलेक्शन है. लेकिन ये अंदाजा किसी को दूर-दूर तक नहीं था कि इसी साल बॉलीवुड को 200 करोड़ से ज्यादा कमाने वाली एक बहुत तगड़ी स्लीपर हिट मिल जाएगी. जी हां, छोटे से बजट में बनी, बहुत कम पॉपुलर एक्ट्रेस के लीड रोल वाली फिल्म 'द केरला स्टोरी', अबतक 232 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाई कर चुकी है. बहुत लोगों को उम्मीद है कि एक महीने पहले रिलीज हुई ये फिल्म, आगे भी थिएटर्स में टिकी रहेगी और 250 करोड़ तक कमाएगी. बजट के हिसाब से छोटी और कम पॉपुलर फिल्मों का, इस लेवल पर हिट होना कि वो साल की सबसे बड़ी हिट्स को टक्कर देने लगे, कोई नई बात नहीं है. हां, ये जरूर है कि कुछ साल पहले ऐसा कम ही होता था. 'द केरला स्टोरी' का सरप्राइज हिट होना लोगों को पिछले साल आई 'द कश्मीर फाइल्स' की याद दिलाता है जिसने हर अनुमान को धता बताते हुए, 250 करोड़ से ज्यादा कमाई की.
वो फिल्म जिसने खेल बदला लगातार दो सालों में दो नॉन-स्टार, कम बजट फिल्मों का 200 करोड़ से ज्यादा कमाना एक दिलचस्प मामला जरूर है. लेकिन थोड़ा पीछे देखने पर समझ आता है कि ये कमाल 'उरी- द सर्जिकल स्ट्राइक' से शुरू हुआ. 25 करोड़ के बजट में बनी, विक्की कौशल के लीड रोल वाली 'उरी' ने 245 करोड़ रुपये से ज्यादा कमाई की थी और फिल्म बिजनेस के एक्सपर्ट्स को सारा गणित भुला दिया था!
ऐसा बिल्कुल नहीं है कि 2019 में आई 'उरी' से पहले बॉक्स ऑफिस को सरप्राइज हिट्स या स्लीपर हिट्स नहीं मिलती थीं. लेकिन इनके कलेक्शन की रेंज इतनी बड़ी नहीं होती थी. 2018 तो सरप्राइज हिट्स के लिए सबसे अच्छा साल था. रानी मुखर्जी की 'हिचकी', तापसी पन्नू की 'मुल्क', आयुष्मान खुराना की 'अंधाधुन' और कार्तिक आर्यन की 'सोनू के टीटू की स्वीटी' इसी साल रिलीज हुईं. इन सबमें शायद सबसे ज्यादा चर्चा राजकुमार राव की फिल्म 'स्त्री' को मिली. 24 करोड़ के बजट में तैयार बताई गई इस फिल्म का नेट इंडिया कलेक्शन 130 करोड़ रुपये था. लगभग इसी के बराबर बजट में बनी 'उरी' के 245 करोड़ से तुलना करने पर समझ आता है कि विक्की कौशल की फिल्म की सक्सेस क्यों बहुत बड़ी थी.
'उरी' और 'द केरला स्टोरी' की कामयाबी का लेवल लगभग एक जैसा है. इस बात से जिज्ञासाओं के सागर में कई सवाल एकसाथ उमड़ने लगते हैं...क्या इस कामयाबी के पीछे पॉलिटिकल सपोर्ट मिलना एक बड़ी वजह है? क्या और फिल्मों ने भी इस फैक्टर को भुनाने की कोशिश की? इन बाकी की फिल्मों का क्या हाल रहा? और क्या फिल्में अभी भी इस कॉमन फैक्टर को भुना रही हैं? राजनीति के खेल में थर्ड अम्पायर बनतीं फिल्में 5 मई को थिएटर्स में रिलीज हुई 'द केरला स्टोरी' अपनी कहानी के लिए राजनीति के मैदान में जोर आजमाने वाली लेटेस्ट फिल्म है. अदा शर्मा स्टारर ये फिल्म, पहला टीजर आने के बाद से ही अपने दावों के लिए विवादों में आ गई. इसकी कहानी में लीड किरदार एक लड़की है, जिसे ब्रेन वॉश किया जाता है और उसका धर्म बदलवाकर दुनिया के सबसे खूंखार आतंकी संगठनों में से एक, ISIS जॉइन करने के लिए मोटिवेट किया जाता है. इराक-सीरिया बॉर्डर पर पहुंचकर उसे सारा खेल समझ आता है और वो भाग निकलने की कोशिश करती है. कहानी में उसके साथ दो और लड़कियां हैं जो इसी साजिश का शिकार बनती हैं. हालांकि, वो भारत छोड़ने के लिए राजी नहीं होतीं और इसलिए उन्हें भी बहुत कुछ भुगतना पड़ता है.
'द केरला स्टोरी' के टीजर में दावा किया गया कि इस कहानी में जो कुछ दिखाया गया है, केरल की 32 हजार लड़कियों ने वो भोगा है. फिल्म में भी बार-बार यही बात दोहराई गई कि हजारों लड़कियों ने ये नर्क झेला है. इस 32 हजार के आंकड़े पर विवाद उठना शुरू हुआ और कई जगह तो फिल्म पर बैन की मांग उठने लगी. मामला केरल हाईकोर्ट तक पहुंचा, तो कोर्ट ने फिल्म पर बैन लगाने से सरासर इनकार कर दिया. मगर कोर्ट में फिल्म के प्रोड्यूसर ये 32 हजार का आंकड़ा साबित नहीं कर पाए और उन्होंने टीजर से ये बात हटा दी. ये अलग बात है कि तब तक बात काफी आगे बढ़ चुकी थी और इस टीजर को लाखों लोग देख चुके थे.
'द केरला स्टोरी' की आलोचना में कहा गया कि ये केरल की गलत छवि दिखाती है. लेकिन एक बड़ा मुद्दा ये भी उठा कि फिल्म एक खास विचारधारा को प्रमोट करती है, जिसे राजनीतिक फायदे के लिए उठाया जा रहा है. शिव सेना (UBT) सांसद संजय राउत ने आरोप लगाया कि राजनीतिक फायदों के लिए 'द केरल स्टोरी' को विवादित बनाना भारतीय जनता पार्टी का एजेंडा है, जिसकी इस समय केंद्र में सरकार है. उन्होंने ये भी कहा कि कर्नाटक चुनाव से पहले भाजपा ने 'द केरला स्टोरी' का इस्तेमाल 'ध्रुवीकरण' के लिए किया है, जो गलत बात है.

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