पान की दुकान से शुरू हुआ फिरोज खान के अमिताभ बनने का सफर, बीवी भी हुई परेशान
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फिरोज, अपने काम से ज्यादा अमिताभ के हमशक्ल होने के लिए जाने जाते थे. उसी अंदाज में चलना, बोलना, उठना, बैठना, सबकुछ अमिताभ की हूबहू चीजें वो करते दिखते थे. फिरोज साल 1994 में उत्तर प्रदेश के बदायूं से मुंबई आए थे.
टीवी और फिल्म जगत से बुरी खबर सामने आई है. एक्टर, मिमिक्री आर्टिस्ट और अमिताभ बच्चन के डुप्लीकेट फिरोज खान का निधन हो गया है. हार्ट अटैक के चलते उन्होंने दम तोड़ा. बता दें कि फिरोज ने फेमस कॉमेडी शो 'भाबी जी घर पर है' और 'शक्तिमान' में काम किया है. घर-घर में अपनी पहचान बनाई है. फिरोज का दुनिया को अलविदा कहना, फैन्स के लिए दुख की बात है.
फिरोज का स्ट्रगल फिरोज, अपने काम से ज्यादा अमिताभ के हमशक्ल होने के लिए जाने जाते थे. उसी अंदाज में चलना, बोलना, उठना, बैठना, सबकुछ अमिताभ की हूबहू चीजें वो करते दिखते थे. फिरोज साल 1994 में उत्तर प्रदेश के बदायूं से मुंबई आए थे. फिरोज ने एक इंटरव्यू में अपने स्ट्रगल की कहानी बयां की थी.
फिरोज ने बताया था कि वो बचपन से ही अमिताभ बच्चन के फैन रहे. साल 1975 में फिल्म आई थी 'दीवार' जो फिरोज ने देखी थी. बस वहीं से इनका स्ट्रगल और करियर की शुरुआत हुई. फिरोज ने बताया कि मैं 'दीवार' फिल्म देखकर थिएटर के बाहर आया था. बाहर एक पान की दुनकान थी, जहां मैंने कहा- ए... एक पान लगा भई...ज्यादा टाइम लगाया तो साला फोड़कर रख देगा भाई... चल लगा... तो वो दुकानदार आंखें फाड़कर मुझे देखता है और सोचता है कि उसके सामने अमिताभ बच्चन खड़े हैं. वहां से इस कहानी की शुरुआत हुई.
किए कई कॉमेडी शोज फिरोज ने कई कॉमेडी शोज, मिमिक्री, इवेंट्स समेत कई एड्स और सीरियल्स में काम किया. स्टेज पर वो दर्शकों का मनोरंजन भी करते नजर आए. यहां तक कि अमिताभ की नकल करते हुए उन्होंने एक बार अपने कॉमेडी शो में 'कौन बनेगा करोड़पति' का सेट भी बनाया था. फिरोज कहते हैं कि वो उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर बदायूं के रहने वाले हैं. पर अमिताभ बच्चन के प्यार में साल 1994 में वो मुंबई आ गए.
फिरोज ने कहा- मुंबई आ गया मैं. बड़ी-बड़ी बिल्डिंग देखीं और इधर-उधर भागा भी. पर मैं अपने आइडल से मिल नहीं पाया. सोच में पड़ गया था कि आखिर कैसे मिलूं मैं उनसे. क्योंकि जो भी कुछ थे मेरे लिए अमित जी ही थे. मैंने सुना कि रविवार के दिन कई लोगों की भीड़ अमित जी के घर के दरवाजे के बाहर होती थी. मुझे लगा कि अमित जी से मिलना मेरे लिए आसान हो गया. लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ. काफी टाइम मैंने स्ट्रगल किया. इधर-उधर भागा. पैसों की किल्लत देखी. एक समोसे-बड़ा पाव तक के लिए मेरे पास पैसे नहीं होते थे. मैं खाने को तरस जाता था.
सचिन पिलगांवकर से हुई मुलाकात "सचिन पिलगांवकर जी से मेरी मुलाकात हुई. वो उस दौरान एक स्पूफ बना रहे थे, रिन 1, 2, 3... करके. काउंटडाउन शो था वो, वहां मुझे काम मिला और उसी के बाद मेरी हिम्मत बढ़ी. फिर मुझे एमटीवी में काम मिला. काफी सारे स्पूफ्स बनते थे उसमें, मैंने काम किया. फिर मेरे अंदर बाकी के एक्टर्स की मिमिक्री करने की भूख जागी. मैंने अमिताभ बच्चन के अलावा डिलीप कुमार की एक्टिंग करनी शुरू की. फॉर्मेट हम लोगों के बोलने का अलग रहता है. हम हमशक्ल वाले उनकी तरह बोल सकते हैं, लेकिन वो बन नहीं सकते हैं."
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