पाकिस्तान के अत्याचारों से तंग सिंध का हिंदू परिवार पहुंचा हरियाणा, भारत में बसने की जताई इच्छा
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परिजनों ने बताया कि पाकिस्तान में उन पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं, उनके पास न खाने का राशन है, न ही कपड़े खरीदने के पैसे. महंगाई चरम पर है और हिंदू बहन-बेटियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. उनका कहना है कि वहां हिंदू बच्चों को स्कूल में कुरान पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है.
हरियाणा के हिसार जिले के बालसमंद गांव में पाकिस्तान से आए एक हिंदू परिवार ने स्थायी रूप से भारत में बसने की इच्छा जताई है. पाकिस्तान के सिंध प्रांत से आए 15 सदस्यों के इस परिवार का कहना है कि पाकिस्तान में उन्हें अत्याचार और भेदभाव का सामना करना पड़ता है. परिवार का वीजा 1 अक्टूबर को समाप्त हो चुका है, लेकिन वे वापस लौटना नहीं चाहते.
परिजनों ने बताया कि पाकिस्तान में उन पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई हैं, उनके पास न खाने का राशन है, न ही कपड़े खरीदने के पैसे. महंगाई चरम पर है और हिंदू बहन-बेटियों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है. उनका कहना है कि वहां हिंदू बच्चों को स्कूल में कुरान पढ़ने के लिए मजबूर किया जाता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन है. पिछले ढाई महीने से ये परिवार बालसमंद गांव में ही रह रहा है.
क्या बोली पुलिस?
बालसमंद के सरपंच प्रतिनिधि ने बताया कि वीजा समाप्त होने के बाद भी अगर ये लोग गांव में रहते हैं, तो अधिकारियों को इसकी सूचना दी जाएगी. इस मामले पर हिसार के पुलिस अधीक्षक शंशाक कुमार सावन ने कहा कि यह मामला उनके संज्ञान में आया है और जांच के बाद नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. बालसमंद के सरपंच प्रतिनिधि ने कहा कि वीजा समाप्त होने के बाद भी अगर ये लोग गांव में रहते हैं तो अधिकारियों को सूचित किया जाएगा. अधिवकता बजरंग ने कहा कि देश में पहले भी पाकिस्तानी जासूस पकड़े जा चुके हैं, भविष्य में ये गायब होकर किसी भी देश विरोधी गतिविधि को अंजाम दे सकते हैं.
जिला कलेक्टर से भी किया संपर्क परिवार की मदद कर रहे बालसमंद के शमशेर ने बताया कि ये लोग यहां मजदूरी करके जीवन यापन कर रहे हैं और वीजा समाप्त होने से पहले एसपी कार्यालय में आवेदन भी कर चुके हैं. शमशेर ने परिवार की मदद के लिए जिला कलेक्टर टीना डाबी से भी संपर्क किया है. दिल्ली में रह रहे दयाल दास के माध्यम से इस परिवार के सदस्य भारत आए थे, और अब भारत में ही बसने की उनकी इच्छा है.
Report: प्रवीन कुमार
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