
पहले अररिया, फिर मुंगेर... बिहार में दो दिन के अंदर दो पुलिस अफसरों की हत्या पर गरमाई सिसायत
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अररिया के बाद मुंगेर में ASI की हत्या हैरान करने वाली है. ASI संतोष कुमार दो पक्षों का झगड़ा सुलझाने पहुंचे थे, लेकिन एक पक्ष के लोगों ने उन पर हमला कर दिया. हमलावरों ने ASI पर रॉड से कई वार किए. फिर गंभीर रूप से जख्मी हालत में उन्हें मौका-ए-वारदात से करीब 40 मीटर तक घसीट कर किसी दूसरे के दरवाजे पर फेंक दिया और फरार हो गए.
बिहार एक ऐसा राज्य है जो कभी ज्ञान और संस्कृति की भूमि था, लेकिन आज बदहाली का शिकार है. बाढ़ की मार, गरीबी की जंजीर, टूटी सड़कें, बेरोजगार युवा, शिक्षा की बदहाली ,दम तोड़ती स्वास्थ्य व्यवस्था और बिगड़ते कानून तंत्र. बिहार के माथे पर पिछले कई दशकों से यही चस्पा है. गौतम बुद्ध, महावीर, चंद्रगुप्त मौर्य, सम्राट अशोक, आर्यभट्ट, गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह, बाबा नागार्जुन, रामधारी सिंह दिनकर, राजेंद्र प्रसाद, कर्पूरी ठाकुर की इस जमीन को आज ना जाने क्या हो गया है. जहां गोलियों की गूंज और लहू से लाल सड़कों की चींखें सुनाई देती हैं. दिनदहाड़े हत्या, लूट, अपहरण, गैंगवार... आम आदमी डर के साए में जीने को मजबूर है, ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यही है सुशासन का सच? ताजा मामला है ASI की हत्या का. जहां 3 दिन के अंदर एक बार फिर एक ASI की हत्या कर दी गई. 3 दिन पहले ही अररिया में भीड़ ने ASI को मार डाला और अब मुंगेर में एक और ASI की हत्या कर दी गई.
इस मामले में आरजेडी ने नीतीश सरकार पर सवाल उठाए हैं. वहीं बीजेपी को इस मामले में विपक्ष की साजिश नजर आ रही है. सवाल ये है कि आखिर कब खूनी खेल रुकेगा? कब तक आम बिहारी की रगों में डर दौड़ता रहेगा? कब तक सत्ता में बैठे नेताओं के लिए क्राइम महज आंकड़ेभर रहेगा? इस साल के आखिर में बिहार में चुनाव है, ऐसे में एक-एक अपराध नीतीश की नेतृत्व वाली सरकार के लिए सिरदर्द बनता रहेगा.
नया मामला मुंगेर का है, वहां बिहार पुलिस का एक ASI दो पक्षों का झगड़ा सुलझाने जाता है, वहां उस पर धारदार हथियार से हमला हो जाता है, हमले में ASI गंभीर रूप से जख्मी होकर दम तोड़ देते हैं. तीन दिन पहले की एक वारदात भी जान लीजिए. सिर्फ लोकेशन बदली है, मुंगेर जैसा कांड अररिया में भी हुआ. तारीख थी 12 मार्च. वहां ASI पुलिस टीम के साथ एक अपराधी को पकड़ने पहुंचे थे, लेकिन ग्रामीणों ने हमलाकर दिया और मार डाला था.
ऐसे हुई थी घटना
अररिया के बाद मुंगेर में ASI की हत्या हैरान करने वाली है. ASI संतोष कुमार दो पक्षों का झगड़ा सुलझाने पहुंचे थे, लेकिन एक पक्ष के लोगों ने उन पर हमला कर दिया. हमलावरों ने ASI पर रॉड से कई वार किए. फिर गंभीर रूप से जख्मी हालत में उन्हें मौका-ए-वारदात से करीब 40 मीटर तक घसीट कर किसी दूसरे के दरवाजे पर फेंक दिया और फरार हो गए.
अपराध के बाद उठ रहे कई सवाल

पवन कल्याण की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और डीएमके शासित तमिलनाडु के बीच नई शिक्षा नीति के एक हिस्से 'तीन-भाषा फार्मूले' को लेकर तीखी नोकझोंक चल रही है. उनके इस बयान पर डीएमके और अभिनेता प्रकाश राज ने पलटवार किया. प्रकाश राज ने कहा कि यह दूसरी भाषा से नफरत नहीं बल्कि हमारी मातृभाषा और हमारी सांस्कृतिक पहचान बचाने के बारे में है.

अररिया के बाद मुंगेर में ASI की हत्या हैरान करने वाली है. ASI संतोष कुमार दो पक्षों का झगड़ा सुलझाने पहुंचे थे, लेकिन एक पक्ष के लोगों ने उन पर हमला कर दिया. हमलावरों ने ASI पर रॉड से कई वार किए. फिर गंभीर रूप से जख्मी हालत में उन्हें मौका-ए-वारदात से करीब 40 मीटर तक घसीट कर किसी दूसरे के दरवाजे पर फेंक दिया और फरार हो गए.

पप्पू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार अस्वस्थ जरूर हैं, लेकिन वह अभी भी बिहार की राजनीति में प्रासंगिक हैं. बीजेपी अकेले चुनाव लड़कर देख ले तो पता चल जाएगा. INDIA गठबंधन कांग्रेस के बिना चुनाव लड़कर देख ले. जो आदमी संघर्ष नहीं करता है, बिहार को नहीं जानता है वह कैसे चुनाव लड़ेगा. अरविंद केजरीवाल बिना संघर्ष करके आए और मार्केटिंग की. लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए और अब गायब हो गए.