
'नीतीश कुमार को खत्म करना चाहती है BJP', पूर्णिया सांसद पप्पू यादव का आरोप
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पप्पू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार अस्वस्थ जरूर हैं, लेकिन वह अभी भी बिहार की राजनीति में प्रासंगिक हैं. बीजेपी अकेले चुनाव लड़कर देख ले तो पता चल जाएगा. INDIA गठबंधन कांग्रेस के बिना चुनाव लड़कर देख ले. जो आदमी संघर्ष नहीं करता है, बिहार को नहीं जानता है वह कैसे चुनाव लड़ेगा. अरविंद केजरीवाल बिना संघर्ष करके आए और मार्केटिंग की. लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए और अब गायब हो गए.
बिहार चुनाव 2025 के करीब आते ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं. हर चुनाव की तरह इस बार भी यह सवाल उठ रहा है कि प्रमुख मुद्दे क्या होंगे- जाति, धर्म, आरक्षण या विकास? बिहार की राजनीति लंबे समय से जातिगत समीकरणों और गठबंधनों के इर्द-गिर्द घूमती रही है, लेकिन बदलते समय के साथ जनता की प्राथमिकताएं भी बदली हैं. रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और बुनियादी ढांचे का विकास अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन रहा है. इन्हीं सब मुद्दों पर पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव से आजतक ने खास बातचीत की.
क्या इस बार बिहार का चुनाव विकास पर केंद्रित होगा? पूर्णिया से सांसद पप्पू यादव का मानना है कि देश में कभी भी विकास को मुख्य मुद्दा बनाकर चुनाव नहीं लड़ा गया. उन्होंने कहा कि हमें तो नहीं लगता इस देश में कभी विकास में चुनाव होगा ना कभी हुआ. मनमोहन सिंह जी के समय एक बार विकास की बात आई थी. उसके बाद जो मैं समझता हूं, लंबे समय से मंडल कमंडल पर चुनाव होता है. चुनावों में हमेशा जाति, धर्म, आरक्षण, पुलवामा, डीएनए, हिंदू-मुस्लिम जैसे विषयों को प्राथमिकता दी जाती है.
मार्केटिंग का खेल बन गया चुनाव: पप्पू यादव
उन्होंने कहा कि चुनाव अब मुद्दों की बजाय मार्केटिंग का खेल बन चुका है. जिसके पास ज्यादा पैसा होगा, वही बेहतर प्रचार करेगा और चुनाव में बढ़त बनाएगा. चुनाव का तो कोई मतलब रह नहीं गया. जो जितना अच्छा मार्केटिंग करेगा, जिनके पास जितने ज्यादा पैसे होंगे, ज्यादा खर्च करेंगे, चुनाव में लगभग लोग उसको टिकट दे रहे हैं. साउथ में 2000, तीन हजार 4000 करोड़ वाले लोग चुनाव लड़ते हैं.
पप्पू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार अस्वस्थ जरूर हैं, लेकिन वह अभी भी बिहार की राजनीति में प्रासंगिक हैं. बीजेपी अकेले चुनाव लड़कर देख ले तो पता चल जाएगा. INDIA गठबंधन कांग्रेस के बिना चुनाव लड़कर देख ले. जो आदमी संघर्ष नहीं करता है, बिहार को नहीं जानता है वह कैसे चुनाव लड़ेगा. अरविंद केजरीवाल बिना संघर्ष करके आए और मार्केटिंग की. लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए और अब गायब हो गए. आजकल खैरात और लोगों को लुभाने पर चुनाव लड़ा जा रहा है. अब बिना फ्री के चुनाव नहीं लड़ा जा रहा है. यदि मुद्दों पर और व्यक्ति पर चुनाव होता तो इन फ्री की क्या जरूरत पड़ती?
बाबा बागेश्वर पर भड़के पूर्णिया सांसद

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पप्पू यादव ने कहा कि नीतीश कुमार अस्वस्थ जरूर हैं, लेकिन वह अभी भी बिहार की राजनीति में प्रासंगिक हैं. बीजेपी अकेले चुनाव लड़कर देख ले तो पता चल जाएगा. INDIA गठबंधन कांग्रेस के बिना चुनाव लड़कर देख ले. जो आदमी संघर्ष नहीं करता है, बिहार को नहीं जानता है वह कैसे चुनाव लड़ेगा. अरविंद केजरीवाल बिना संघर्ष करके आए और मार्केटिंग की. लोगों को बड़े-बड़े सपने दिखाए और अब गायब हो गए.