
परिंदा: अनिल कपूर, माधुरी दीक्षित के रोमांटिक गाने से याद वो फिल्म, जिसने 90s के अंडरवर्ल्ड सिनेमा की नींव रखी
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90s में बॉलीवुड की गैंगस्टर फिल्मों के लुक में एक बड़ा बदलाव आया. जहां 80s की फिल्मों के गैंगस्टर चमचमाती कारों में शानदार सूट पहने, आंखों पर चश्मा चढ़ाए लार्जर दैन लाइफ माहौल में नजर आते थे. वहीं नई फिल्मों में गैंगस्टर आम इंसानों जैसे थे, लोकेशन रियल थीं और लाइटिंग आंखों में नहीं चुभती थी.
इस दुनिया से अब विदा ले चुके कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का एक बड़ा पॉपुलर एक्ट है, जिसमें उन्होंने मशहूर एक्टर नाना पाटेकर के जूते खरीदने को अपनी कॉमेडी में उतारा है. नाना पाटेकर की नकल उतारते राजू श्रीवास्तव पहला डायलॉग बोलते हैं- 'अच्छा है, बहुत अच्छा है'. इस एक डायलॉग से वो अपने एक्ट में नाना पाटेकर की एंट्री रजिस्टर कर देते हैं.
सिर्फ राजू श्रीवास्तव या सुनील पाल ही नहीं, जितने भी कॉमेडियन्स और कलाकारों ने नाना की मिमिक्री की, इस लाइन को जरूर यूज किया. और इसके साथ ही नाना का वो अंदाज भी मिमिक्री के लिए जरूर इस्तेमाल होता है जिसमें दोनों हाथों से माथा पीटा जाता है. क्या आपको याद है कि नाना का ये अंदाज कौन सी फिल्म से पॉपुलर हुआ? ये वही फिल्म है जिसमें अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित का एक रोमांटिक गाना बेहद पॉपुलर है.
गाने के बोल हैं- 'तुमसे मिल के, ऐसा लगा तुमसे मिल के'. फिल्मों में दिलचस्पी रखने वाले कई साथियों को ये गाना रोमांटिक होने की वजह से ही याद है. लेकिन कमाल की बात ये है कि जिस फिल्म में ये गाना है, वो असल में बॉलीवुड के नए अंडरवर्ल्ड सिनेमा या गैंगस्टर सिनेमा की नींव रखने वाली शुरुआती फिल्म मानी जा सकती है. 3 नवंबर 1989 को रिलीज हुई, विधु विनोद चोपड़ा के डायरेक्शन में बनी 'परिंदा' अपने समय की फिल्मों में सबसे अलग फिल्म थी.
हैरानी की बात ये है कि 90s में बॉलीवुड का जो आइकॉनिक गैंगस्टर सिनेमा खूब पॉपुलर हुआ, उसके बारे में बात करते हुए आजकल लोग 'परिंदा' की बात करना भूल जाते हैं. आज बात करते हैं 'परिंदा' की उस विरासत के बारे में जिसे हिंदी फिल्में आजतक जी रही हैं.
90s के बॉम्बे नॉएर की नींव फिल्मों में एक टाइप होता है- नॉएर. ऐसी फिल्में जिनमें सुंदर कुछ नहीं होता. सबकुछ डार्क, दुख भरा, भद्दा और मनहूस टाइप लगेगा. यही फिल्म नॉएर जब मुंबई पर बनी क्राइम ड्रामा फिल्मों में आया तो इसका नाम हो गया 'बॉम्बे नॉएर'. आज जब लोग बॉम्बे नॉएर की बात शुरू करते हैं तो सबसे पहले 'सत्या' का नाम लेते हैं. 'सत्या' के राइटर अनुराग कश्यप ने एक जगह कहा है कि जिन दो शुरूआती फिल्मों ने उनपर सबसे ज्यादा असर छोड़ा वो 'परिंदा' और 'शिवा' हैं.
आगे चलकर कश्यप से 'सत्या' लिखवाने वाले राम गोपाल वर्मा की 'शिवा' 1990 में आई थी, जबकि 'परिंदा' 1989 में. दिबाकर बनर्जी और निखिल अडवाणी जैसे बॉलीवुड डायरेक्टर कह चुके हैं कि 'परिंदा' ने उन्हें फिल्म मेकर बनने के लिए इंस्पायर किया. जबकि विशाल भारद्वाज भी अपनी क्लासिक 'मकबूल' के पीछे प्रेरणा बनी फिल्मों में 'परिंदा' का नाम लेते हैं.

अविनाश दास के डायरेक्शन में बनीं फिल्म इन गलियों में एक रोमांटिक ड्रामा है. जिसमें प्रेम-समाज और सोशल मीडिया के प्रभाव पर बात की गई है. फिल्म में एक्टर जावेद जाफरी, विवान शाह, अवंतिका दासानी ने लीड रोल प्ले किया है. 14 मार्च को रिलीज हो रही इस फिल्म ने समाज को सशक्त बनाने के लिए शानदार संदेश दिया है. फिल्म का निर्माण विनोद यादव, नीरू यादव ने किया है. इन गलियों में जावेद जाफरी मिर्जा साहब के रोल में समाज को सुधारने उतरे हैं. ये कहानी जरूर देखें लेकिन क्यों ये जानने के लिए जरूर देखें खास बातचीत.

बॉलीवुड से लेकर टीवी और यहां तक की पाकिस्तानी सिनेमा में भी 11 मार्च, मंगलवार के दिन हलचल मची रही. 'अपोलीना' शो की एक्ट्रेस अदिति शर्मा अपनी तलाक की खबरों को लेकर चर्चा में रहीं. वहीं पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक की तीसरी पत्नी सना जावेद के प्रेग्नेंट होने की खबरें सामने आईं. फिल्म रैप में पढ़ें बड़ी खबरें.