नाइट शिफ्ट में असुरक्षित महसूस करते हैं देश के 24% डॉक्टर्स, IMA की स्टडी में दावा
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अगस्त 2024 में, भारत के कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में अपने वर्कप्लेस पर रात की ड्यूटी के दौरान एक युवा महिला डॉक्टर के साथ रेप किया गया और उसकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना ने देश भर में विरोध प्रदर्शन और बेहतर वर्कप्लेस सेफ्टी की वकालत करने वाले डॉक्टरों के संगठनों द्वारा सर्विस सटडाउन बंद करने को प्रेरित किया.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा नाइट शिफ्ट के वक्त डॉक्टरों के बीच सुरक्षा संबंधी चिंताओं को उजागर करने के लिए किए गए एक सर्वे में पूछे जाने पर कई डॉक्टर्स ने असुरक्षित (24.1%) या बहुत असुरक्षित (11.4%) महसूस करने की बात कही है. इस सर्वे में 3,885 व्यक्तिगत प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिससे यह सर्वे नाइट शिफ्ट के वक्त सुरक्षा मुद्दे पर भारत में सबसे बड़ा सर्वे बन गया. अगर असुरक्षित महसूस करने वाले लोगों की बात की जाए, तो ऐसे लोगों में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी.
61% इंटर्न्स या पोस्टग्रेजुएट ट्रेनी थे. कुछ MBBS कोर्सेज में जेंडर रेशियो के अनुरूप, महिलाओं की तादाद 63 फीसदी थी. नाइट शिफ्ट के वक्त 45 फीसदी जवाब देने वालों के पास ड्यूटी रूम उपलब्ध नहीं था. जिन लोगों के पास ड्यूटी रूम तक पहुंच थी, उनमें सुरक्षा की भावना ज्यादा थी. ड्यूटी रूम अक्सर भीड़भाड़, गोपनीयता की कमी और ताले गायब होने की वजह से अपर्याप्त थे, जिससे डॉक्टरों को वैकल्पिक रेस्ट रूम खोजने के लिए मजबूर होना पड़ा.
उपलब्ध ड्यूटी रूम में से एक तिहाई में अटैच्ड बाथरूम नहीं था. आधे से ज्यादा मामलों (53%) में, ड्यूटी रूम वार्ड/इमरजेंसी एरिया से दूर था. वर्कप्लेस पर डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा की रिपोर्टे्स बढ़ रही हैं.
हाल ही में सामने आए हैं कई ऐसे मामले
अगस्त 2024 में, भारत के कोलकाता में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में अपने वर्कप्लेस पर रात की ड्यूटी के दौरान एक युवा महिला डॉक्टर के साथ रेप किया गया और उसकी हत्या कर दी गई थी. इस घटना ने देश भर में विरोध प्रदर्शन और बेहतर वर्कप्लेस सेफ्टी की वकालत करने वाले डॉक्टरों के संगठनों द्वारा सर्विस सटडाउन बंद करने को प्रेरित किया.
हाल ही में, चेन्नई के सरकारी हॉस्पिटल में ड्यूटी पर मौजूद एक डॉक्टर को स्टेज 4 कैंसर से मरने वाले एक मरीज के बेटे ने बेरहमी से चाकू घोंप दिया. ये सभी घटनाएं अस्पतालों के अंदर नाइट शिफ्ट और अन्य कामकाजी घंटों के दौरान डॉक्टरों की सुरक्षा के मुद्दे फिर से याद दिलाती हैं.
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