नहीं याद करने पड़ेंगे मैथ के सैकड़ों फार्मूले! मैनपुरी के शिक्षक ने की गणित के ऐसे महासूत्र की खोज
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मैनपुरी जिले के शिक्षक रत्नेश कुमार ने विभाज्यता का महासूत्र एवम दशक नियम पर हिंदी और अंग्रेजी रत्नेश ने एक किताब भी लिखी है, जिसे भारत सरकार ने कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिया गया जो 177 देशों में मान्य है.
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के रत्नेश कुमार ने गणित पर विभाज्यता के एक ऐसे महासूत्र की खोज की है, जिससे सेकंडों में ही किसी भी संख्या के लिए विभाज्यता का नियम बनाया जा सकता है. इस महासूत्र की खोज से अब छात्रों को हजारों लाखों सूत्र याद रखने की जरूरत नही पड़ेगी. विभाज्यता का महासूत्र एवम दशक नियम पर हिंदी और अंग्रेजी रत्नेश ने एक किताब भी लिखी है, जिसे भारत सरकार की ओर से कॉपीराइट रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट दिया गया है जो 177 देशों में मान्य है.
शिक्षक रत्नेश कुमार उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के कस्वा भोगांव के रहने वाले हैं.रत्नेश ने इंजीनियरिंग, एमबीए व बीएड करने के बाद पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगतपुर में गणित शिक्षक के तौर पर नौकरी शुरू की थी. रत्नेश की गणित और रीजनिंग के प्रश्नों को सॉल्व करने में दिलचस्पी रही. आज अपनी इसी लगन के चलते रत्नेश ने एक ऐसे विभाज्यता के महासूत्र की खोज की जो सभी संख्याओं पर लागू होता है. कहा जा रहा है कि अगर उन्हें आज का आर्यभट्ट कहा जाए तो गलत नही होगा.
क्यों खास है ये खोज रत्नेश की इस खोज से हजारों लाखों छात्र छात्राओं और कम्पटीशन की तैयारी कर रहे हजारों युवाओं को इसका लाभ मिल रहा है. रत्नेश अपने इस महासूत्र का प्रदर्शन एक सैकड़ा से अधिक शिक्षण संस्थाओं में अब तक कर चुके हैं. रत्नेश के इस महासूत्र की विशेषता यह है कि इससे हर प्राकृतिक संख्या के विभाज्यता का नियम क्षण भर में बनाया जा सकता है इससे विद्यार्थियों को अलग अलग परंपरागत सूत्रों को याद नही करना पड़ेगा. विभाज्यता के इस महासूत्र से तुरन्त मालूम किया जा सकता है कि कोई संख्या किसी विशेष संख्या से विभाज्य हो सकती है अथवा नहीं.
महासूत्र की विशेषता व उपयोग रत्नेश के अनुसार इस महासूत्र की सहायता से बहुत ही कम समय मे गणित के सवालों को चुटकियों में हल किया जा सकता है. इस महासूत्र को समझने के बाद विद्यार्थी 1 से लेकर कितनी ही बड़ी संख्याओं के नियम खुद बना सकते हैं. इसके लिए उन्हें हजारों नियम याद रखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी. इस महासूत्र से समय की बचत भी होती है और सरल होने के कारण इसको समझना और समझाना दोनों ही बड़े आसान है.
रत्नेश का दावा है कि इस महासूत्र को यदि स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाता है तो विद्यार्थियों के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होगा. रत्नेश ने अपने इस महासूत्र को कैमरे के सामने भी बच्चों को समझाने के लिए ब्लैकबोर्ड पर इसका प्रदर्शन किया. रत्नेश पूर्व माध्यमिक विद्यालय जगतपुर में भी विषय विशेषज्ञ गणित के शिक्षक के रूप में 2015 से तैनात है. रत्नेश की इस उपलब्धि के लिए उनके साथी शिक्षक भी काफी खुश है और एक ऐसे प्रतिभाशाली शिक्षक के साथ काम करके अपने आपको गौरान्वित महसूस करते हैं. इस महासूत्र की खोज के लिए रत्नेश को कई जगह सम्मानित व कई पुरस्कारों से नवाजा गया है.
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