दो फेज के वोटिंग टर्नआउट का फाइनल डेटा जारी, विपक्ष का सवाल- इतना फर्क कैसे?
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चुनाव आयोग ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है. इस डेटा के आने के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और CPM जैसी पार्टियों ने पूछा कि आखिर चुनाव आयोग को इतनी देरी क्यों हुई.
देश में इन दिनों लोकतंत्र का महापर्व चल रहा है. 7 चरणों में लोकसभा चुनाव की शुरुआत 19 अप्रैल से हुई और 26 अप्रैल को दूसरे चरण की वोटिंग हुई. इस मतदान के बाद चुनाव आयोग वोटिंग प्रतिशत का आंकड़ा जारी करता है. लेकिन इसी मुद्दे पर अब सियासत गरमाई हुई है. वजह है कि चुनाव आयोग को यह आंकड़ा जारी करने में काफी वक्त लगा. विपक्षी दल इसे लेकर आयोग पर सवाल खड़े कर रहे हैं.
दरअसल मंगलवार शाम चुनाव आयोग ने यह आंकड़ा जारी किया और विपक्षी दल इसे लेकर ECI पर सवाल खड़े करने लगे. विपक्ष का आरोप है कि आमतौर पर वोटिंग प्रतिशत का यह आंकड़ा 24 घंटों के भीतर जारी कर दिया जाता है. लेकिन इस बार यह काफी देर से जारी हुआ है.
बताते चलें कि चुनाव आयोग ने मंगलवार को जानकारी देते हुए बताया कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत और दूसरे चरण में 66.71 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया है. इस डेटा के आने के बाद कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और CPM जैसी पार्टियों ने पूछा कि आखिर चुनाव आयोग को इतनी देरी क्यों हुई.
वोटरों की संख्या क्यों नहीं बताते?
CPI(M) नेता सीताराम येचुरी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर सवाल उठाए और पहले दो चरणों के लिए पारदर्शिता की मांग की. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा, ECI के पहले दो चरणों में मतदान का आंकड़ा शुरुआती आंकड़ों से काफी अधिक है. उन्होंने पूछा, प्रत्येक संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की पूरी संख्या क्यों नहीं बताई जाती? जब तक यह आंकड़ा ज्ञात न हो, आंकड़ा निरर्थक है. वे बोले, नतीजों में हेरफेर की आशंका बनी हुई है क्योंकि गिनती के समय कुल मतदाता संख्या में बदलाव किया जा सकता है. 2014 तक प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या हमेशा ईसीआई वेबसाइट पर उपलब्ध थी. ईसीआई को पारदर्शी होना चाहिए और इस डेटा को बाहर रखना चाहिए.
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